नाम : मीनाक्षी जिजीविषा
जन्म दिवस : 19 मई
मूल स्थान : हिसार हरियाणा
शैक्षणिक उपाधि : बी एस सी , बी. एड , एम. बी. ए.
1. स्वभाव :
सरल , सहज , स्पष्ट , संवेदनशील , जिज्ञासु ,कर्मठ !
2. ख़ास शौक :
पुस्तकें पढ़ना , संगीत सुनना , प्रकृति प्रिया ,और भ्रमण !
3. किन तीन लोगों ने आपको प्रभावित किया है ?
मानव स्वभाव है कि सर्वप्रथम वह अपने आस पास के लोगों से प्रभावित होता है ,जिन्हे जानता है उनसे प्रभावित होता है या जिनसे प्रभावित होता है उन्हें जानना चाहता है !बचपन में मैं अपने पिता से प्रभावित रही इसलिए नहीं कि वे मेरे पिता थे , वरन उनके व्यक्तित्व की कुछ खूबियों के कारण ! उनकी स्पष्टवादिता , कार्य के प्रति समर्पण , लगन और कर्मठता , स्वाभिमान अनुशाशन और ईमानदारी ! इसके पश्चात कार्यस्थल पर मैं अपने एक ऑफिसर के व्यक्तित्व से प्रभावित हुई और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा जैसे कि अनुशाषन , धैर्ये , साहस , सूझ बुझ , सकारात्मक सोच , सहृदयता , और आत्मविश्वास ! और तीसरे मैं एक वरिष्ठ लेखिका के लेखन और उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुई ! सादगी , सरलता , सौम्यता , अपनत्व , रिश्तों का सम्मान , दूसरों की भावनाओं की क़द्र करना , अपने परिवेश ,अपनी संस्कृति, अपनी जड़ों से जुड़े रहना आदि गुण मैंने उनसे अपनाये !
4. बचपन में लोग किस नाम से बुलाते थे ?
मेरे बचपन के कई नाम थे , माँ प्यार से नाइटिंगेल बुलाती थी , पिता जी लाड से लाली बुलाते थे , भाई कल्याणी बुलाता था ! अभी भी कभी कभी भाई उसी नाम से बुलाता है !
5. अगर कोई बिलकुल अनजान आदमी कहे कि उसे आपकी अमुक पुस्तक /कहानी /कविता /बहुत पसंद आई तो आपको कैसा लगा ?
जी , अक्सर ऐसा हुआ है.…… अनजान लोगों के फ़ोन आते हैं और उनसे अपनी रचना की प्रशंषा सुन , रचना उन्हें पसंद आई, यह जानकर आत्मिक संतुष्टि मिलती है कि शब्द साधना सार्थक हुई और सामाजिक सरोकारों से जुड़ा लेखन , समाजिक चिंताओं ,समस्याओं से जुड़ा लेखन जन -जन के हृदय को छूता है और रचना दूर तक जाती है , और आश्वस्ति होती है शब्द शक्ति पर ,लेखनी पर , भरोसा और सुदृढ़ होता है। साथ ही अपनी लेखकीय जिम्मेदारी को और बढ़ गया मानती हूँ !
6. आपके जीवन की सबसे बड़ी चाह कौन सी है ?
मेरा मानना है कि जीवन बहुत छोटा है , इस ब्रह्माण्ड में हमारा होना कुछ भी नहीं , शून्य जितना भी नहीं। बड़ी चीज़ें नहीं , अच्छी चीज़ें चाही जानी चाहिये। जीवन छोटी छोटी चीज़ों के समायोजन से बना है , मैं छोटी छोटी खुशियों में ही खुश होती हूँ , छोटी खुशियां मिल जाने पर बड़ी बन जाती हैं ये हम पर निर्भर करता है की छोटी खुशियों को कैसा बड़ा बनाएं / इसलिए बड़ी बड़ी महत्वाकांक्षायें , कामनाएं नहीं रखती / बस इतना भर चाहती हूँ कि इस पृथ्वी पर मेरा होना और मेरा लेखन समाज के लिए हितकारी हो !
7. पसंदीदा व्यंजन :
घर का बना सादा शाकाहारी भोजन
8. प्रकाशित रचनायें ?
काव्य संग्रह : पलकों पर रखे स्वप्न फूल, सृजन के झरोखे से , यादें , स्त्री होने के मायने , आवाज़ में उतरती दुनिया , दिल के मौसम
लघु कथा संग्रह : इस तरह से भी
व्यंग्य संग्रह : मैं आज़ाद हूँ (प्रकाशनाधीन)
9. मनपसंद टी वी प्रोग्राम ?
वैसे तो टी वी कम देखती हूँ पर सत्यमेव जयते मेरा पसंदीदा प्रोग्राम रहा , महाराणा प्रताप , इससे पूर्व में रानी लक्ष्मी बाई , बचपन में हम लोग , बुनियाद ,भारत एक खोज , चाणक्य , मिर्ज़ा ग़ालिब आदि
10. प्रतिलिपि के विषय में विचार ?
आज के दिखावे और , आत्मप्रचार के इस युग में प्रतिलिपि बड़ी सादगी और खामोशी से अच्छे ,सार्थक साहित्य को आम जन तक पहुंचाने का प्रशंसीय और साहसी कार्य कर रहा है ! साथ ही स्थापित और चर्चित , वरिष्ठ और युवा रचनाकारों को समान महत्त्व दे रहा है जो कि सराहनीय है !
पाठकों के लिए संदेश :
प्रिय ,सुधी पाठकों से यही कहना चाहूंगी कि अच्छा साहित्य पढ़ने की आदत अपनाएँ जो कि जीवन को जीने की ऊर्जा देता है और जीवन में /विपरीत परिस्तिथियों में मार्गदर्शन करता है /
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