नाम : उपासना सियाग
जन्मदिवस : 26 सितम्बर
मूलस्थान : अबोहर ( पंजाब )
शैक्षिक उपाधि : बी.एस.सी. गृह विज्ञान , ज्योतिष रत्न ।
स्वभाव : साधारणतया शांत।
1. साहित्य प्रेरणा :
साहित्यिक प्रेरणा , पढ़ने के शौक ने दी और फेसबुक से जुड़ने के बाद स्व. श्री रविन्द्र शुक्ला जी से मिली।
2. पसंदीदा व्यंजन :
राजस्थानी और दक्षिण भारतीय।
3. अगर अपनी जिंदगी फिर से जीने का मौका मिले तो क्या बदलना चाहेंगे?
कुछ नहीं ! अभी तक सब कुछ अचानक ही मिला है तो बदलाव की गुंजाईश ही नहीं।
4. आपके बचपन का सबसे यादगार किस्सा क्या है?
उम्र के उस मोड़ पर हूँ जिस पर जीवन के झंझावात याददाश्त काम करना कम कर देती है तो बचपन का सारा हिस्सा ही मधुर यादगार की तरह उभरता है।
5. वो कौन सी तीन चीज़ें हैं जिनके बिना आपका जीवन अधूरा है?
मेरी माँ , मेरे पति और मेरे बच्चे…..
6. जीवन का सबसे खुशी का पल :
बहुत सारे पल हैं। लेकिन जब मेरा ज्योतिष रत्न के परीक्षा का परिणाम आया तो मुझे उस पल लगा कि मैं भी कुछ कर सकती हूँ। और जब बोधि प्रकाशन के साँझा काव्य संग्रह " स्त्री होकर सवाल करती है " में मेरी कविताओं के प्रकाशन की सूचना मुझे मिली।
7. प्रकाशित रचनायें :
" स्त्री हो कर सवाल करती है , पगडंडियाँ , गुलमोहर , अपनी -अपनी धरती , अपना -अपना आसमान आदि साँझा काव्य संग्रह में रचनाओं का प्रकाशन। सरिता , सखी जागरण , दैनिक भास्कर और स्थानीय पत्रों में रचनाओं का प्रकाशन। "
8. सबसे ज्यादा डर किससे अथवा किस बात से लगता है?
मुझे डर नहीं लगता।
9. जिंदगी से क्या चाहते हैं :
ख़ुशी।
10. प्रतिलिपि के विषय में आपके विचार :
प्रतिलिपि एक माध्यम है जो नए लेखकों को प्रोत्साहन देती है और पाठकों को पढ़ने के लिए अच्छा साहित्य उपलब्ध करवाती है।
पाठकों के लिये संदेश :
कहानियाँ , कवितायेँ पढ़ते रहिये और लिखने वालों का हौसला बढ़ाते रहिये।
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