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एक छोटा सा वार्तालाप हिन्दी साहित्यकार श्री कर्ण सिंह चौहान के साथ / A short interview of Hindi writer Karan Singh Chauhan
12 फ़रवरी 2015

 

नाम: कर्ण सिंह चौहान

जन्मदिवस: २८ फरवरी, १९४७

मूलस्थान: नोएडा, उत्तर प्रदेश

शैक्षिक उपाधि: एम.ए., एम. फिल. पीएच .डी. ।

 

 1. अगर कोई नवोदित रचनाकार आके आपसे अपने लेखन को सुधारने के लिये सुझाव मांगे तो क्या कहेंगे ? 

 जो अंतरतम की गहराइयों में महसूस करो, वही लिखो; जो लिखो उस पर यकीन करो । लिखते समय मनुष्य के आखीर में खडे व्यक्ति या समूह को ध्यान में रखने के साथ ही ब्रह्मांड में अपने साझीदार सब प्राणियों, वनस्पतियों, पर्यावरण पर भी पूरा ध्यान रहे ।

 

2. स्वभाव :

सहज, सरल, स्पष्टवादी, मौलिक ।

 

3.  आपके जीवन में किन तीन लोगों ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है?

मां, मेरे गुरु पं कृष्ण शंकर शुक्ल और महात्मा गांधी ।

 

4. खास शौक :

यात्राएं, नए लोगों, जगहों, नई तकनीक के प्रति उत्सुकता ।

 

5. लोकप्रिय व्‍यक्ति :

महात्मा गांधी ।

 

6. साहित्य प्रेरणा :

अज्ञेय, मुक्तिबोध, निराला, रेणु  ।

 

7.  तकिया कलाम : 

"सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां

जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहां ।"

 

8. पसंदीदा साहित्य विधा ?

कविता

 

9. प्रकाशित रचनायें:

1.  आलोचना के नए मान     (समीक्षा) 

2.  साहित्य के बुनियादी सरोकार   (समीक्षा)

3.  प्रगतिवादी आन्दोलन का इतिहास   (समीक्षा)

4.  एक समीक्षक की डायरी    (समीक्षा)

5.  यूरोप में अन्तर्यात्राएं    (यात्रा–वॄत्तांत)

6.  एक समीक्षक की डायरी, भाग 2

7.  अमेरिका के आरपार    (यात्रा–वॄत्तांत)

8.  हिमालय नहीं है वितोशा  (कविता–संग्रह)

9.  यमुना कछार का मन   (कहानी–संग्रह)

10.  पहाड़ में फूल : कोरियाई कविता–संग्रह   (अनुवाद)

11. समकालीन यथार्थवाद : ज्यार्ज लूकाच   (अनुवाद)

12. इतिहासदॄष्टि और ऐतिहासिक उपन्यास : लूकाच (अनुवाद)

13. लू सुन की चुनी हुई रचनाएं   (अनुवाद)

14. मेरा जीवन, मेरा समयः पाब्लो नेरुदा ( अनुवाद)

 

10.प्रतिलिपि के विषय में आपके विचार : 

इस संस्था के लिए काम कर रहे उत्साही लोगों की टीम ने अत्यल्प समय में ही अपनी कल्पना, दक्षता, अनथक कार्यक्षमता से अभूतपूर्व सफलता हासिल की है जो भविष्य की अनंत संभावनाओं का संकेत है । 

 

पाठकों के लिये संदेश :

पुस्तकों का ई-बुक रूप में प्रकाशन न केवल नए समय की जनतांत्रिक मांग है बल्कि प्रकृति, परिवेश, पर्यावरण और अंततः मानव भविष्य के प्रति वाजिब चिंता का सबूत है । फिलहाल हम कल्पना नहीं कर सकते कि इस प्रयत्न से जो होगा -

अ) नवोदित प्रतिभावान लेखकों के लिए प्रकाशन का सहज मंच ।

आ) लगभग मुफ्त बराबर दाम के कारण व्यापक जनसमूह के लिए उपलब्धता ।

इ) बिना किताब की परंपरागत छपाई के लाखों टन प्राकृतिक संसाधनों की बचत ।

ई) यही फार्मेट किताब का वास्तविक भावी रूप है ।

 

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