नाम : अंजली अग्रवाल (पुत्री स्व. श्री मोतीराम अग्रवाल)
जन्म दिवस : 25 मर्इ 1990
मूलस्थान : परासिया जिला-छिन्दवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
शैक्षिकउपलबिध : एम.काम (पी.एच.डी. अध्ययनरत)
स्वभाव : नारियल जैसा (ऊपर से कठोर और अन्दर से नरम )
1. अगर अपनी जिन्दगी फिर से जीने का मौका मिले तो क्या बदलना चाहोंगे :
मैं अपनी जिन्दगी से बहुत खुश हूँ। हाँ लेकिन मौका मिले तो मैं अपने पापा के साथ जीना चाहँुगी।
2. आपके बचपन का सबसे यादगार किस्सा कौन-सा है?
कालेज के शुरूआती दिनों की बात है, मुझे बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक रहा है कालेज के ग्राउण्ड में कुछ लड़कियों को कोच क्रिकेट खिला रहे थे, मैनें बड़ी हिम्मत करके मन को मनाया और ग्राउण्ड में कोच से जाकर कहा -सर मुझे भी खेलना है,सर ने कहा - क्या करोगी, मैनें कहा- मैं बाल डालूँगी, मैनें बड़े जोश से दौड़ते हुए पहली बाल फेंकी और उलटे मुँह गिर पड़ी। और करीब 5 मिनिट तक मैं जमीन मे पड़ी अपने ऊपर हँसती रही।
3. साहित्य प्रेरणा :
मेरी प्रिय दोस्त कु. पूर्णिमा सिसोदिया जो कि एक आर्टिस्ट है के जोर देने पर उसके द्वारा बनार्इ पेंटिग जिसका शीर्षक - कन्याभ्रूण हत्या था। मैनें पेंटिग के इसी शीर्षक - कन्याभ्रूण हत्या से प्रेरणा लेकर अपनी पहली कविता कन्याभ्रूण हत्या पर ही लिखी थी। जो कि, श्री मान मुख्यमंत्री (म.प्र.) शिवराज सिंह चौहान द्वारा सराही गर्इ। उसके बाद मैनें करीब एक साल तक कुछ नहीं लिखा ,बलिक सच ये था कि मुझे खुद नहीं पता था कि मुझे लिखने का शौक है तब मेरी बड़ी बहन श्रीमति राखी सफडि़या जो कि साहित्य प्रिय है, उन्होनें मुझे लिखने के लिये अत्याधिक प्रोत्साहित्य किया और उन्हीं से प्रेरणा पाकर मैंने लिखना आरम्भ किया।
4. आपके लिये साहित्य की परिभाषा :
मेरे लिये साहित्य एक खुला आसमान है। जो सबसे परे है। और मैं और मेरे ही जैसे सभी साहित्यकार इस आसमान में पंक्षी बनके उड़ते है।
5. आपके जीवन का सबसे ख़ुशी का पल :
परिवार के साथ बिताया हर एक पल मेरे लिये अनमोल है। इसलिये इनमें से किसी एक पल को चुनना मेरे लिये असंभव है।
6. प्रकाशित रचनायें :
कन्याभ्रूण हत्या , मुझे रोक लो माँ , करवाचौत , शुभ दिपावली , माँ , ये जीवन एक नदी है , बचपन , नारी , हम सब दौड़े जा रहे हैं , जमीन मे रहना सीखो मेरे दोस्तो , आँखो मे पड़ी इस धूल को हमें ही हटाना है , आयी हूँ मैं , मेरी पुकार आदि।
7. मनप्रसंद टी.वी. प्रोग्राम :
डिस्कवरी चैनल में प्रकाशित सभी प्रोग्राम।
8. प्रिय पुस्तकरचनाकार :
छिन्न मस्ताप्रभा खेतान , चौहदा फेरेशिवानी , श्री स्वामी विवेकानन्द जी की सभी रचनायें।
9. सबसे ज्यादा डर किससे और किस बात से लगता है :
अपने गुस्से से ( कहीं मेरा गुस्सा मुझे किसी की तकलीफ की वजह न बना दे )
10. जिन्दगी से क्या चाहते है :
परिवार और अपनो का साथ हमेशा बना रहे।
प्रतिलिपि के बारे मे आपका विचार :
जैसा कि मैने कहा कि मेरे लिसे साहित्य Þएक खुला आसमान है।ß और प्रतिलिपी हमारे लिसे इस आसमान को और आसमान तक पहुँचने वाले मार्ग को रंगो से सजाती है।
पाठको के लिये संदेश :
पाठक इस साहित्य रूपी बाग मैं पानी डालते रहते है तथा इस साहित्य रूपी बाग में ही हम जैसे साहित्यकार पौधों के रूप में जन्म लेते है। मेरी आप सभी से विनती है कि माली की तरह इस बाग को इसी तरह सींचते रहें। सहृदय से में सभी पाठको का आभार व्यक्त करती हूँ।
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