मैं फिर भी सामान्य ना हो सका। अपने होंठ काटने पर भी मन से निकल रही रुलाई जैसे रोक नहीं पा रहा था। अब उन्होंने मुझे अपने अंक से लगा लिया मेरा चेहरा उनकी साड़ी की परतों में छिप गया। नथुने उस खास ...
कहानी.अच्छी है और मैं समझती हूँ ऐसा होता ही है।मैंने काफी लम्बे अरसे तक छोटे बच्चों को पढाया है।मेरी कक्षा के बच्चों को मेरा हाथ, मेरी साडी, बैग, मोबाइल इत्यादि छूने भर से खुशी होती थी। ये भी सच है कि मैं उपस्थित होऊँ और उन्हें कोई और पढाये या मेरी झछठी नाराजी उन्हे अच्छी नहीं लगती थी।ये सब मैंने खुद देखा और महसूस किया है।
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