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वह खास खुशबू

4.0
7578

मैं फिर भी सामान्य ना हो सका। अपने होंठ काटने पर भी मन से निकल रही रुलाई जैसे रोक नहीं पा रहा था। अब उन्होंने मुझे अपने अंक से लगा लिया मेरा चेहरा उनकी साड़ी की परतों में छिप गया। नथुने उस खास ...

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लेखक के बारे में

नेह पत्र की आस लगाये अब तो एक ज़माना बीता..!

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    मधु पुरी अरोरा
    16 जुलाई 2017
    कहानी.अच्छी है और मैं समझती हूँ ऐसा होता ही है।मैंने काफी लम्बे अरसे तक छोटे बच्चों को पढाया है।मेरी कक्षा के बच्चों को मेरा हाथ, मेरी साडी, बैग, मोबाइल इत्यादि छूने भर से खुशी होती थी। ये भी सच है कि मैं उपस्थित होऊँ और उन्हें कोई और पढाये या मेरी झछठी नाराजी उन्हे अच्छी नहीं लगती थी।ये सब मैंने खुद देखा और महसूस किया है।
  • author
    Govind Kumar
    26 अक्टूबर 2018
    what is this ? what is the purpose of this story?
  • author
    DasondhiMal Joshi
    30 मई 2021
    Atti utam ye to bahut purani bat lagti Aaj kahan aiase Shikshak aur Student ke rishte
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    मधु पुरी अरोरा
    16 जुलाई 2017
    कहानी.अच्छी है और मैं समझती हूँ ऐसा होता ही है।मैंने काफी लम्बे अरसे तक छोटे बच्चों को पढाया है।मेरी कक्षा के बच्चों को मेरा हाथ, मेरी साडी, बैग, मोबाइल इत्यादि छूने भर से खुशी होती थी। ये भी सच है कि मैं उपस्थित होऊँ और उन्हें कोई और पढाये या मेरी झछठी नाराजी उन्हे अच्छी नहीं लगती थी।ये सब मैंने खुद देखा और महसूस किया है।
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    Govind Kumar
    26 अक्टूबर 2018
    what is this ? what is the purpose of this story?
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    DasondhiMal Joshi
    30 मई 2021
    Atti utam ye to bahut purani bat lagti Aaj kahan aiase Shikshak aur Student ke rishte