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पलाश

4.5
9152

प्यार, विश्वास , ममता और वापसी की एक अनोखी कहानी।।।

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लेखक के बारे में
author
VAIBHAV SAGAR

थोड़ा सी रचना थोड़ी तुकबंदी

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Prakash Srivastava
    22 ఏప్రిల్ 2018
    कभी कभी अपनी जमीन से जुड़ाव और उसकी स्मृतियां मनुष्य को सब कुछ भूल जाने को मजबूर कर देता है। मैं भी जब कभी अपने पुश्तैनी घर जाता हूं। तो मां के कमरे, जो मेरी दादी का भी कमरा था, के नंगे फर्श पर बिना पंखे को चलाये इतनी गहरी नींद में सो जाता हूं। लगता है कि मेरी मां और दादी मुझे अपनी गोद में लिटा कर थपकियां देकर सुला रही है। मेरी बेटी मेरी पत्नी मुझे ऐसे चैन से सोते देखकर कहते हैं कि वहां ऐसी में आप करवटें बदलते रहते हैं, ठीक से नहीं सो पाते और यहां आते ही बड़े चैन से सोते हैं। मैं उसपर यही कहता हूं यह बात तुम कभी नहीं समझ पाओगी। लेखक को बधाई। कहानी मेरे दिल के बहुत करीब है। नमन मेरे मित्र।
  • author
    Smriti Prakash
    09 ఆగస్టు 2020
    स्वार्थी पुत्र, मां को अंतिम विदाई देने भी भी आया।पैसे और होने वाली पत्नी दोनों के लिए,बेशर्मी से लौट आया,क्या राम्या ये भूल जाएगी कि जो मां का सगा नहीं वो किसी और का क्या होगा
  • author
    Megha Srivastava
    16 జనవరి 2020
    बहुत ही सुंदर कहानी आपकी पलाश के फूल जितना खूबसूरत है उतना ही इसके ऊपर लिखी हुई कहानी या कविता बहुत ही खूबसूरत सादा सिंपल शब्दों में दिल को छू लेने वाली कहानी बहुत-बहुत बधाई
  • author
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  • author
    Prakash Srivastava
    22 ఏప్రిల్ 2018
    कभी कभी अपनी जमीन से जुड़ाव और उसकी स्मृतियां मनुष्य को सब कुछ भूल जाने को मजबूर कर देता है। मैं भी जब कभी अपने पुश्तैनी घर जाता हूं। तो मां के कमरे, जो मेरी दादी का भी कमरा था, के नंगे फर्श पर बिना पंखे को चलाये इतनी गहरी नींद में सो जाता हूं। लगता है कि मेरी मां और दादी मुझे अपनी गोद में लिटा कर थपकियां देकर सुला रही है। मेरी बेटी मेरी पत्नी मुझे ऐसे चैन से सोते देखकर कहते हैं कि वहां ऐसी में आप करवटें बदलते रहते हैं, ठीक से नहीं सो पाते और यहां आते ही बड़े चैन से सोते हैं। मैं उसपर यही कहता हूं यह बात तुम कभी नहीं समझ पाओगी। लेखक को बधाई। कहानी मेरे दिल के बहुत करीब है। नमन मेरे मित्र।
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    Smriti Prakash
    09 ఆగస్టు 2020
    स्वार्थी पुत्र, मां को अंतिम विदाई देने भी भी आया।पैसे और होने वाली पत्नी दोनों के लिए,बेशर्मी से लौट आया,क्या राम्या ये भूल जाएगी कि जो मां का सगा नहीं वो किसी और का क्या होगा
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    Megha Srivastava
    16 జనవరి 2020
    बहुत ही सुंदर कहानी आपकी पलाश के फूल जितना खूबसूरत है उतना ही इसके ऊपर लिखी हुई कहानी या कविता बहुत ही खूबसूरत सादा सिंपल शब्दों में दिल को छू लेने वाली कहानी बहुत-बहुत बधाई