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नीला दुपट्टा

4.6
54026

भाग -१ "अरे ओ झुमके वाली मैडम ...तुम्हारें कार के डोर में तुम्हारा नीला दुप्पटा अटका पड़ा हैं, निकाल लो!" मैं उसके कार के बाजु से अपनी बूलेट से कट मारते हुए चिल्लाया । कुछ देर बाद वो अपनी कार के मिरर ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Heena Sundesha
    06 ନଭେମ୍ବର 2017
    अब तो हमे भी इशि से प्यार हो गया है । इस कहानी में इण्डिया की माँ वाली बात और इशि के प्यार को इजहार करने के तरीके ने मन मोह लिया लेकिन समाज इन सब बातों को कब ख़त्म करेगा कि प्यार से अच्छा समाज बन सकता है ना की ऐसी अवधारणाओं से जिनसे समाज में औरतों को पीड़ित होने पडे ।
  • author
    Asha Dhuliya
    18 ଅକ୍ଟୋବର 2017
    बहुत ही खूबसूरत कहानी ...👌👌👌👍
  • author
    Sarita Mishra
    04 ଡିସେମ୍ବର 2017
    बहुत सुंदर है कहानी का ताना - बाना । एक सांसमें पूरा पढ़ने लायक । कहानी की गति के साथ ही पाठक डूबता - उतराता रहता है ....उसी की रौ में ।
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    Heena Sundesha
    06 ନଭେମ୍ବର 2017
    अब तो हमे भी इशि से प्यार हो गया है । इस कहानी में इण्डिया की माँ वाली बात और इशि के प्यार को इजहार करने के तरीके ने मन मोह लिया लेकिन समाज इन सब बातों को कब ख़त्म करेगा कि प्यार से अच्छा समाज बन सकता है ना की ऐसी अवधारणाओं से जिनसे समाज में औरतों को पीड़ित होने पडे ।
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    Asha Dhuliya
    18 ଅକ୍ଟୋବର 2017
    बहुत ही खूबसूरत कहानी ...👌👌👌👍
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    Sarita Mishra
    04 ଡିସେମ୍ବର 2017
    बहुत सुंदर है कहानी का ताना - बाना । एक सांसमें पूरा पढ़ने लायक । कहानी की गति के साथ ही पाठक डूबता - उतराता रहता है ....उसी की रौ में ।