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हिन्दी

मुबारक बीमारी

4.7
15148

रात के नौ बज गये थे, एक युवती अंगीठी के सामने बैठी हुई आग फूंकती थी और उसके गाल आग के कुन्दनी रंग में दहक रहे थ। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें दरवाजे की तरफ़ लगी हुई थीं। कभी चौंककर आंगन की तरफ़ ताकती, कभी ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mridul Joshi
    22 జనవరి 2018
    पीढी दर पीढी हमेशा उन्नति होती रही है.यही विकास का प्रतिबिंब भी है।यदि अपने से छोटा कुछ कहना /करना चाहता है तो धैर्य पूर्वक सुनने व मानने से हर कार्य में बेहतरी आती है।हर बङी पीढी को नयी पीढी का दोस्त होना चाहिए ना कि विरोधी।इससे पुरना अनुभव व नयी तकनीक एक नया आयाम बनाते हैं।
  • author
    Jyoti Sharma
    29 ఆగస్టు 2017
    बहोत ही सुन्दर
  • author
    Inderjeet Kaur
    05 ఫిబ్రవరి 2019
    बहुत अच्छा सन्देश देती है कहानी
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    Mridul Joshi
    22 జనవరి 2018
    पीढी दर पीढी हमेशा उन्नति होती रही है.यही विकास का प्रतिबिंब भी है।यदि अपने से छोटा कुछ कहना /करना चाहता है तो धैर्य पूर्वक सुनने व मानने से हर कार्य में बेहतरी आती है।हर बङी पीढी को नयी पीढी का दोस्त होना चाहिए ना कि विरोधी।इससे पुरना अनुभव व नयी तकनीक एक नया आयाम बनाते हैं।
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    Jyoti Sharma
    29 ఆగస్టు 2017
    बहोत ही सुन्दर
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    Inderjeet Kaur
    05 ఫిబ్రవరి 2019
    बहुत अच्छा सन्देश देती है कहानी