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माँ को माँ समझे नौकरानी नहीं।

4.6
24573

"ममता जल्दी करो यार मेरी फ्लाइट मिस हो जाएगी" " बस-बस हो गया ये लो आपका बैग इसमे आपके जरूरत के हिसाब से सब कुछ रख दिया है मैंने, अच्छा सुबोध सुनों ना रास्ते मे मुझे बुआ जी के घर छोड़ दोगे क्या, उनके ...

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लेखक के बारे में
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Vashu Dev Pareek

The Author is a member of The institute of Chartered Accountants of India (CA). He is Also Masters in Commerce and UGC NET Qualified. He is a Rajya Purashkar winner of Bharat Scouts and Guides.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Nishija Amit Singh
    26 ജൂലൈ 2020
    कहानी अच्छी है लेकिन अपनी इस मजबूरी की माँ खुद जिम्मेदार है क्या हम बच्चो को अपने काम करने की खुद आदत नही डाल सकते जब हम शुरुआत करेंगे तो आगे सब ठीक होता जायेगा ।
  • author
    26 ജൂലൈ 2020
    बिल्कुल सही किया ममता ने, मां मैनै भी लिखी है समय हो तो पढ़िएगा .
  • author
    Nisha Aiya
    26 ജൂലൈ 2020
    बहुत बढ़िया, एक माँ को कुछ इस तरह के कदम उठाने पड़ते है जब परिवार उसकी भावनाओं को आहत करते हैं 👌 👌
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    Nishija Amit Singh
    26 ജൂലൈ 2020
    कहानी अच्छी है लेकिन अपनी इस मजबूरी की माँ खुद जिम्मेदार है क्या हम बच्चो को अपने काम करने की खुद आदत नही डाल सकते जब हम शुरुआत करेंगे तो आगे सब ठीक होता जायेगा ।
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    26 ജൂലൈ 2020
    बिल्कुल सही किया ममता ने, मां मैनै भी लिखी है समय हो तो पढ़िएगा .
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    Nisha Aiya
    26 ജൂലൈ 2020
    बहुत बढ़िया, एक माँ को कुछ इस तरह के कदम उठाने पड़ते है जब परिवार उसकी भावनाओं को आहत करते हैं 👌 👌