बचपन की बारिश और कागज की नाव जो भी घर में आता ,वह बार-बार सखी को यही कहता कि ,...........सब्र करो ।कष्ट तो भगवान ने दिया है । यह सोचो कि तुम अपने घर पर पहुंच गई ।ना जाने किस अवरोध में फांसी ...
हम अपने विचारों को कहानी का जमा पहनाते है । कोई पढ़ता है तो सोखद अनुभव होता है ।कोई समीक्षा करता है तो मनोबल बढ़ता है । प्रयास रहता है सबका सब कुछ पड़ लूं ।अगर फॉलोअर्स बनाने पड़े तो साहित्य साधना काम हो जाएगी ।लोगों का दर्द बांटती हूं । जिन्हे भाषा से प्रेम है वह अवश्य पड़ेंगे ।नए दोस्त बने तो और अच्छा लगता है ।
प्रतिलिपि को आभार ।जिन्होंने हमको ये धरातल में स्थान दिया ।
सारांश
हम अपने विचारों को कहानी का जमा पहनाते है । कोई पढ़ता है तो सोखद अनुभव होता है ।कोई समीक्षा करता है तो मनोबल बढ़ता है । प्रयास रहता है सबका सब कुछ पड़ लूं ।अगर फॉलोअर्स बनाने पड़े तो साहित्य साधना काम हो जाएगी ।लोगों का दर्द बांटती हूं । जिन्हे भाषा से प्रेम है वह अवश्य पड़ेंगे ।नए दोस्त बने तो और अच्छा लगता है ।
प्रतिलिपि को आभार ।जिन्होंने हमको ये धरातल में स्थान दिया ।
रिपोर्ट की समस्या
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