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एक मुलाकात

4.3
7635

यही कोई दिन के ढाई बज रहे होंगे। मैं भभुआ रोड से वाराणसी जा रहा था। रास्ते मे मुग़लसराय के आस पास दिखी थी तुम एक स्कूटी पर ,तुम्हारे पीछे भी कोई लड़की बैठी थी। मेरे बाइक के पीछे पीछे तुम्हारी ...

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मुझे पढ़ना क्योंकि मैं तुम्हे लिखता हूँ!!

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Divyanshu Bhardwaj
    30 नवम्बर 2017
    बहुत ही सुन्दर कहानी .... और आखरी लाइन "हम जैसे लड़को के लिए प्यार कुछ नहीं होता है मैडम|हम जैसे लड़कों को एक उम्र के बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों के चादर में लपेट दिया जाता है " हिला दिए गुरु .... महादेव
  • author
    Richa Tripathi
    15 जनवरी 2019
    आप जैसे कम ही लोग होते हैं जो लड़की के प्रपोजल को ठुकरा दे वरना अक्सर लोग मौके का फायदा उठाकर एक तरफ होजाते हैं
  • author
    priti birla
    11 दिसम्बर 2017
    सही कहा... जीवन में एक उम्र के बाद में प्यार का नही जिम्मेदारीयो का ही एहसासरह जाता है
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    Divyanshu Bhardwaj
    30 नवम्बर 2017
    बहुत ही सुन्दर कहानी .... और आखरी लाइन "हम जैसे लड़को के लिए प्यार कुछ नहीं होता है मैडम|हम जैसे लड़कों को एक उम्र के बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों के चादर में लपेट दिया जाता है " हिला दिए गुरु .... महादेव
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    Richa Tripathi
    15 जनवरी 2019
    आप जैसे कम ही लोग होते हैं जो लड़की के प्रपोजल को ठुकरा दे वरना अक्सर लोग मौके का फायदा उठाकर एक तरफ होजाते हैं
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    priti birla
    11 दिसम्बर 2017
    सही कहा... जीवन में एक उम्र के बाद में प्यार का नही जिम्मेदारीयो का ही एहसासरह जाता है