यही कोई दिन के ढाई बज रहे होंगे। मैं भभुआ रोड से वाराणसी जा रहा था। रास्ते मे मुग़लसराय के आस पास दिखी थी तुम एक स्कूटी पर ,तुम्हारे पीछे भी कोई लड़की बैठी थी। मेरे बाइक के पीछे पीछे तुम्हारी ...
बहुत ही सुन्दर कहानी .... और आखरी लाइन "हम जैसे लड़को के लिए प्यार कुछ नहीं होता है मैडम|हम जैसे लड़कों को एक उम्र के बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों के चादर में लपेट दिया जाता है " हिला दिए गुरु .... महादेव
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