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हिन्दी

दो कब्रें

4.7
9242

अब न वह यौवन है, न वह नशा, न वह उन्माद। वह महफिल उठ गई, वह दीपक बुझ गया, जिससे महफिल की रौनक थी। वह प्रेममूर्ति कब्र की गोद में सो रही है। हाँ, उसके प्रेम की छाप अब भी ह्रदय पर है और उसकी अमर स्मृति ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 जुलाई 2017
    प्रेमचंद की लेखनी साहित्य की अनोखी धरोहर है। प्रतिलिपि की सम्पूर्ण टीम को इस अनोखे सत्यान्वेषी साहित्य को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हार्दिक आभार।
  • author
    अजय प्रताप
    13 अक्टूबर 2018
    हमारी क्या हस्ती है जो "कलम के सिपाही" की समीक्षा करें?!! अद्भुत लेखन...!
  • author
    Manoj Srivastava
    16 मई 2019
    बढ़िया एप्प है पाठकों के लिए जो सहित्य से प्रेम करते है
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    23 जुलाई 2017
    प्रेमचंद की लेखनी साहित्य की अनोखी धरोहर है। प्रतिलिपि की सम्पूर्ण टीम को इस अनोखे सत्यान्वेषी साहित्य को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हार्दिक आभार।
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    अजय प्रताप
    13 अक्टूबर 2018
    हमारी क्या हस्ती है जो "कलम के सिपाही" की समीक्षा करें?!! अद्भुत लेखन...!
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    Manoj Srivastava
    16 मई 2019
    बढ़िया एप्प है पाठकों के लिए जो सहित्य से प्रेम करते है