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4.4
1657

हम चाहते थे कि घुटने पर बैठ जायें और परपोज करें, मगर अंग्रेजी में हाथ तंग है तो रिस्क न लिये। का पता एक चमाट धर दो तो इज्जत का फालूदा....

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लेखक के बारे में
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'सोच'

चलती फिरती लाशों का जिन्दा बाजार हैं हम.... Contact- 8009220277

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pooja
    17 नवम्बर 2018
    Very nice, language badi kamaal ki likhi h.... Hahaha
  • author
    Pragya Jain
    01 सितम्बर 2018
    बहुत ही ज्यादा हास्य से भरी... बहुत अच्छा
  • author
    DIVYA JAISWAL
    24 फ़रवरी 2018
    again your pen wrote a heart touching story
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  • author
    Pooja
    17 नवम्बर 2018
    Very nice, language badi kamaal ki likhi h.... Hahaha
  • author
    Pragya Jain
    01 सितम्बर 2018
    बहुत ही ज्यादा हास्य से भरी... बहुत अच्छा
  • author
    DIVYA JAISWAL
    24 फ़रवरी 2018
    again your pen wrote a heart touching story