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‘दादू जल्दी करों हम लेट हो रहे हैं |’ विभा ने जल्दी- जल्दी अपने बैग में पूजा का सामान डालते हुए अपने सत्तर वर्षीय दादाजी को कहा| शिवदास जी ने विभा का आदेश सुन अपने बूढ़े हाथों को जल्दी चलाना शुरू ...

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लेखक के बारे में
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ritu thapliyal

लेखिका परिचय नाम - ऋतु थपलियाल ‘सुदेवस्तु’ मूल निवासी - देहारादून ,उत्तराखंड प्रकाशित रचनाएँ- कविता संग्रह [स्वतंत्र वार्ता में दो वर्ष से प्रकाशित हो रहे हैं ] अलकनंदा पत्रिका में आलेख और कहानियाँ , प्रकाशित ,हिन्दी सागर में कवितायें प्रकाशित ,अंतर्राष्ट्रीय बेब पत्रिका ‘प्रयास’ में रचनाएँ प्रकाशित |वर्तमान अंकुर से कवितायें प्रकाशित और ‘रिश्तों के अंकुर’ सांझा कहानी की पुस्तक में कहानियाँ प्रकाशित |काव्य स्पंदन में कवितायें प्रकाशित,काव्य अमर उजाला से कवितायें प्रकाशित ,प्रतिलिपि से दो लेख व दस कहानियाँ प्रकाशित ,अंतरा शब्द समूह से ‘मुक्त परिंदे ‘लघु कथा प्रकाशित | सम्मान - डेली मिलाप समाचार पत्र हैदराबाद द्वारा सर्वश्रेष्ठ कविता का सम्मान ,व 2018 का सर्वश्रेष्ठ कहानी का सम्मान ,हिन्दी सागर द्वारा हिन्दी सेवी सम्मान व काव्य श्री सम्मान ,शीर्षक साहित्य परिषद द्वारा तीन बार दैनिक प्रतियोगिता में सम्मान | साहित्य संगम द्वारा दो बार श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान और श्रेष्ठ टिप्पणीकार सम्मान |साहित्य नारी संगम सुवाच द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान ,आगाज समूह द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान |वर्तमान अंकुर द्वारा कथा गौरव सम्मान ,अंतरा शब्द शक्ति व वुमन आवाज द्वारा 2018 का वुमन आवाज सम्मान | संस्था से संबद्धता - रामी समाज सेवी संस्था की सदस्या (दिल्ली ) रचना –स्वरचित कविता ‘बुढ़ापा’ ऋतु थपलियाल ‘सुदेवस्तु’ नई पुस्तक का नाम –मेरी विरासत

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Akanksha Dikshit
    12 সেপ্টেম্বর 2018
    वाह!!समय रहते अपने आत्मीय जनो की कद्र करना बहुत जरूरी है वर्ना पछतावा ही हाथ लगता है। बहुत सुन्दर कहानी
  • author
    Juhi Sharma
    05 ফেব্রুয়ারি 2019
    Bahut hi pyari rachna hai
  • author
    Vikas Choursia
    27 মার্চ 2018
    Superb story
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  • author
    Akanksha Dikshit
    12 সেপ্টেম্বর 2018
    वाह!!समय रहते अपने आत्मीय जनो की कद्र करना बहुत जरूरी है वर्ना पछतावा ही हाथ लगता है। बहुत सुन्दर कहानी
  • author
    Juhi Sharma
    05 ফেব্রুয়ারি 2019
    Bahut hi pyari rachna hai
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    Vikas Choursia
    27 মার্চ 2018
    Superb story