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वो मंजर याद आता है

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वो मंजर याद आता है जब तू मेरे करीब आता है वो प्यार से तेरा मेरी और देखना कभी सिसकते होठो को छूना तो कभी झील सी आँखों में देखना वो पेड़ की  छाँव में मेरे आँचल के साए में सोना वो मंजर याद आता है जब तू ...

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लेखक के बारे में
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Purva Shukla
समीक्षा
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  • author
    BRIJ BHOOSHAN KHARE
    11 जून 2018
    बहुत ही अच्छी रचना. शानदार भाषा शैली.
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    BRIJ BHOOSHAN KHARE
    11 जून 2018
    बहुत ही अच्छी रचना. शानदार भाषा शैली.