"वो और तुम" # कुमार दुर्गेश "विक्षिप्त"# इक बात बता तू ही सही, तुझे चाहूँ या उसे भुलूं कहीं, जो दूर है उसे साथ लिये हूँ, तू पास है, फिर भी नहीं, वो ख्वाब है, या ख्याल है? याद ...
बहुत ख़ूब सटीक शब्दो का प्रयोग और सारगर्भित रचना का लेखन किया आपने दुर्गेश जी अदभुत, बेमिसाल, नायाब रचना का भावपक्ष और अर्थपूर्ण है पढ़ कर सुकून-ए-दिल को तसल्ली हुई बेहतरीन रचना । दुर्गेश जी
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बहुत ख़ूब सटीक शब्दो का प्रयोग और सारगर्भित रचना का लेखन किया आपने दुर्गेश जी अदभुत, बेमिसाल, नायाब रचना का भावपक्ष और अर्थपूर्ण है पढ़ कर सुकून-ए-दिल को तसल्ली हुई बेहतरीन रचना । दुर्गेश जी
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