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वो और तुम

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"वो और तुम"                 # कुमार दुर्गेश "विक्षिप्त"# इक बात बता तू ही सही, तुझे चाहूँ या उसे भुलूं कहीं, जो दूर है उसे साथ लिये हूँ, तू पास है, फिर भी नहीं, वो ख्वाब है, या ख्याल है? याद ...

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लेखक के बारे में
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Kumar durgesh Vikshipt *Vaishnav*

साहित्य प्रेमी ( पूर्व नवोदयन विद्यार्थी )9983113919 कोटडी़ ग्राम, जिला भीलवाडा़,राजस्थान

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    28 नोव्हेंबर 2018
    बहुत ख़ूब सटीक शब्दो का प्रयोग और सारगर्भित रचना का लेखन किया आपने दुर्गेश जी अदभुत, बेमिसाल, नायाब रचना का भावपक्ष और अर्थपूर्ण है पढ़ कर सुकून-ए-दिल को तसल्ली हुई बेहतरीन रचना । दुर्गेश जी
  • author
    28 नोव्हेंबर 2018
    मन की पीड़ा की अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई ।
  • author
    Kajal Sahu
    22 नोव्हेंबर 2018
    but.....khubsurat rachna hai
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    28 नोव्हेंबर 2018
    बहुत ख़ूब सटीक शब्दो का प्रयोग और सारगर्भित रचना का लेखन किया आपने दुर्गेश जी अदभुत, बेमिसाल, नायाब रचना का भावपक्ष और अर्थपूर्ण है पढ़ कर सुकून-ए-दिल को तसल्ली हुई बेहतरीन रचना । दुर्गेश जी
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    28 नोव्हेंबर 2018
    मन की पीड़ा की अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई ।
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    Kajal Sahu
    22 नोव्हेंबर 2018
    but.....khubsurat rachna hai