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व्यथा भरी रात.... -ओंकार नाथ त्रिपाठी

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ब्यथा भरी यह रात बड़ी है, गहन अँधेरा तिमिर विहीन है। कहीं कोई नहीं किरन कहीं है, ब्यथा भरी........................। ब्याकुल मन उजियारा खोजे, लगता है कोई पास खड़ा है, हर आहट पर रोम खड़ा है परीक्षा की ...

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    Ramdayal Ramdayal
    26 फ़रवरी 2020
    Nice
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    Ramdayal Ramdayal
    26 फ़रवरी 2020
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