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वेश्या और प्रेम

4.2
134197

ईंट सीमेंट की बनी दड़बानुमा इमारत की दर्जनों खिड़कियाँ उस बदनाम सड़क की तरफ खुलती थीं, जहाँ शाम डूबते डूबते रंगीनियाँ जवान होने लगतीं थीं। हर खिड़की से एक उदास लिपा पुता चेहरा होंठो पर कुछ अश्लील फिकरे ...

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समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    खुशबू
    06 दिसम्बर 2015
    प्रेम जिन्दा रहता है हमेशा । आह कितना सच कहा । अश्विनी जी बहुत बढ़या लिखा आपने । बधाई स्वीकार ।
  • author
    उत्प्रेक्षा
    02 जुलाई 2018
    चलचित्र सा सब आंखों के आगे घूम गया।
  • author
    Endless
    31 मई 2018
    heartouching story.....💗💗💗.so sad....😢😢😢
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    खुशबू
    06 दिसम्बर 2015
    प्रेम जिन्दा रहता है हमेशा । आह कितना सच कहा । अश्विनी जी बहुत बढ़या लिखा आपने । बधाई स्वीकार ।
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    उत्प्रेक्षा
    02 जुलाई 2018
    चलचित्र सा सब आंखों के आगे घूम गया।
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    Endless
    31 मई 2018
    heartouching story.....💗💗💗.so sad....😢😢😢