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उस रात की बात

3.6
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मौसम में ठिठुरन बनी हुई थी। दोनों बच्चे और वन्दना भी खाना खाकर टीवी के सामने जम गए। कुछ लिखने का मन नहीं कर रहा था, मैं भी उनके साथ बैठ गया। उस समय ’भूतनाथ’ फिल्म चल रही थी। फिल्म के बीच में जब ...

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सोहन वैष्णव
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    ashwani pratap singh "ash"
    11 मई 2018
    "ऐसे अवसर पे माँ नाम काम ब्रह्मास्त्र काम आता है " एक नए मुहावरे का ईजाद काबिल- ए -तारीफ है |शब्दों को संजीदगी से संजोया है आपने , बहुत ही उम्दा
  • author
    Dev Malya
    08 जुलाई 2018
    शब्दों का अच्छा उपयोग किया है आपने पर बाँध नहीं पाए.. और वर्तनी अशुध्दि भी बहुत है. हर जगह 'श' के स्थान पर 'ष' लिखा । कम से कम 'शिव' तो सही से लिख लेते ।
  • author
    kumar shanu gupta
    25 जून 2017
    bekar laga
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    ashwani pratap singh "ash"
    11 मई 2018
    "ऐसे अवसर पे माँ नाम काम ब्रह्मास्त्र काम आता है " एक नए मुहावरे का ईजाद काबिल- ए -तारीफ है |शब्दों को संजीदगी से संजोया है आपने , बहुत ही उम्दा
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    Dev Malya
    08 जुलाई 2018
    शब्दों का अच्छा उपयोग किया है आपने पर बाँध नहीं पाए.. और वर्तनी अशुध्दि भी बहुत है. हर जगह 'श' के स्थान पर 'ष' लिखा । कम से कम 'शिव' तो सही से लिख लेते ।
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    kumar shanu gupta
    25 जून 2017
    bekar laga