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द गर्ल विद ब्लू आइज़

4.4
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अल्बर्ट हॉल के ठीक सामने वाली रोड के किनारे गुलमोहर के एक बूढ़े दरख़्त के नीचे एक टूटी हुई बेंच जिस पर पुते हरे रंग की पपड़ियाँ उखड़ चली थीं, पर बैठ कर उसे रोज़ देखना मेरा शगल था, अल सुबह वह ...

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लेखक के बारे में

अजीतपाल सिंह दैया अहमदाबाद (गुजरात) के रहने वाले हैं और जोधपुर के एम बी एम इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल अभियांत्रिकी में स्नातक हैं। कविता, कहानी, लघुकथा और उपन्यास लेखन जैसी विधा में लिखते रहें हैं। हिन्दी के अलावा अंग्रेज़ी, उर्दू और राजस्थानी भाषा में लेखन करते हैं। एक उपन्यास Estranged प्रकाशित हुआ है। दो कविता संग्रह 'अप्पो दीपो भव" एवं ‘फ़िलहाल’ प्रकाशित। प्रेम कहानियों की किताब "रूमान" प्रकाशित।इसके अलावा छिटपुट रचनाएँ राजस्थान पत्रिका, इतवारी पत्रिका, बालहंस, लोटपोट, जलते दीप, अकादमी कृति आदि में प्रकाशित। आकाशवाणी जोधपुर से कवितायें और सामाजिक विषयों पर वार्ताएं प्रसारित। लेखन के अतिरिक्त वह स्केचिंग, पेंटिंग और कार्टून बनाने का शौक रखते हैं। दैया की रचनाएँ ब्लॉग poetry-ajit.blogspot.in पर भी पढ़ी जा सकती हैं  

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    सरिता कुमारी
    15 నవంబరు 2015
    नीले और जामुनी रंग गाढ़े आध्यत्मिकता के रंग हैं अजीत....इनसे अपनी कविताओं को सराबोर कर एक रहस्यमयी रूमानियत का ताना-बाना बुन देते हो अपनी कविताओं में। बहुत प्यारी कविता बनी है ये, नाज़ुक, नर्म, मुसकराती फिर रहस्य में डूबकर गुम हो जाती। मुझे बहुत अच्छी लगी।
  • author
    Anika Yadav
    09 డిసెంబరు 2019
    bhot acchi👍👍👍👌👌
  • author
    ®
    17 ఏప్రిల్ 2022
    बढ़िया
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    सरिता कुमारी
    15 నవంబరు 2015
    नीले और जामुनी रंग गाढ़े आध्यत्मिकता के रंग हैं अजीत....इनसे अपनी कविताओं को सराबोर कर एक रहस्यमयी रूमानियत का ताना-बाना बुन देते हो अपनी कविताओं में। बहुत प्यारी कविता बनी है ये, नाज़ुक, नर्म, मुसकराती फिर रहस्य में डूबकर गुम हो जाती। मुझे बहुत अच्छी लगी।
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    Anika Yadav
    09 డిసెంబరు 2019
    bhot acchi👍👍👍👌👌
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    17 ఏప్రిల్ 2022
    बढ़िया