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थाम लो मेरा हाथ

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मैं बहक न जाऊं कहीं आकर थाम लो मेरा हाथ लापरवाह बहुत हूं मैं क्या तुम दोगे मेरा साथ ढूंढ रहे है मंजिल अंधियारी राहों में जुगनू बनके रोशन क्या करोगे मेरी रात जब कभी अकेले होंगे एक आवाज़ पे चले आना ...

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लेखक के बारे में
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Kanchan Chabuk

Dusro ko samajhne ka hunor to h pr ulajh jate h khud ko suljhane me

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Komal
    04 मार्च 2022
    bhot pyara likha h. good😘😘😘😘
  • author
    Manish Nagar
    04 मार्च 2022
    अप्रतिम 👏🏻👏🏻
  • author
    Rakesh Chandola
    04 मार्च 2022
    🙏🏻सुन्दर प्रस्तुति
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  • author
    Komal
    04 मार्च 2022
    bhot pyara likha h. good😘😘😘😘
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    Manish Nagar
    04 मार्च 2022
    अप्रतिम 👏🏻👏🏻
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    Rakesh Chandola
    04 मार्च 2022
    🙏🏻सुन्दर प्रस्तुति