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सरकारी कर्मचारी फ़कीर के फ़कीर रहेंगे।

4.2
1931

कल सुबह डाकिया एक रजिस्ट्री लेकर आया. मैंने साइन करके लिया, जीवन बीमा निगम से आया था. डाकिया खुश होकर बोला, 'चेक आया है.' 'तुम्हें कैसे पता?' मैंने पूछा तो बोला, 'खोल कर देख लीजिए।' और खड़ा रहा. मैं ...

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लेखक के बारे में
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मणिका मोहिनी

एम्.ए.- दिल्ली विश्वविद्यालय रचनाएं – प्रेम प्रहार – काव्य संकलन मेरा मरना – काव्य संकलन कटघरे में – काव्य संकलन ख़त्म होने के बाद – कहानी संग्रह अभी तलाश जारी है – कहानी संग्रह अपना –अपना सच – कहानी संग्रह अन्वेषी – कहानी संग्रह स्वप्न दंश – कहानी संग्रह ये कहानियां – कहानी संग्रह ढाई आखर प्रेम का – कहानी संग्रह जग का मुजरा – कहानी संग्रह पारो ने कहा था – उपन्यास प्रसंगवश – लेख संग्रह अगेय;एक मूल्याङ्कन – सम्पादन उसका बचपन – नाट्य रूपान्तरण तेरह कहानियां – सम्पादन 5 अन्य पुस्तकें प्रकाशनाधीन

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Raakesh Chauhaan
    03 अक्टूबर 2018
    समाज का एक कटु सत्य.....
  • author
    AZAD
    14 जुलाई 2016
    Very nice story...hart touching
  • author
    Khashti Kathayat
    22 सितम्बर 2021
    एक वर्ग तक ये बात सही है पर सरकारी कर्मचारी में वो सभी लोग आते हैं तो पूरी मनन से अपना काम करके उफ्फ तक नही करते जैसे हमारी आर्मी। पर आप जैसे लोग सरकारी कर्मचारी बन नही पाएंगे पर कोसेंगे जरूर। अपने शब्दों पर ध्यान देने की जरूरत है आपको।
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    Raakesh Chauhaan
    03 अक्टूबर 2018
    समाज का एक कटु सत्य.....
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    AZAD
    14 जुलाई 2016
    Very nice story...hart touching
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    Khashti Kathayat
    22 सितम्बर 2021
    एक वर्ग तक ये बात सही है पर सरकारी कर्मचारी में वो सभी लोग आते हैं तो पूरी मनन से अपना काम करके उफ्फ तक नही करते जैसे हमारी आर्मी। पर आप जैसे लोग सरकारी कर्मचारी बन नही पाएंगे पर कोसेंगे जरूर। अपने शब्दों पर ध्यान देने की जरूरत है आपको।