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समरपण

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वो चाहती है  समर्पण  पुँर्ण समर्पण  जैस चाँद की चांदनी का  निशा समर्पण  वर्षा  की  बूंदो का  धरा  समर्पण  वो  चाहती है समर्पण  पूर्ण समर्पण  कैसै समझाऊ उसे  मैं निर्माण  से ही समर्पित हूँ  ...

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AMIT KUMAR OJHA
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