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क्या गलत किया

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साल में एक बार श्वसुर जी की पुण्यतिथि पर घर के सभी रिश्तेदारों को बुलाया जाता और पूरे गांव को भोज दिया जाता था। उसके लिए ये दूसरा मौका था! पहली बार वह नई नवेली दुल्हन थी और चुपचाप बिस्तर पर ही ...

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लेखक के बारे में
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ए. असफल

ए. असफल (अशोक शर्मा) जन्मतिथि- 26-12-1955 शैक्षणिक- जीवाजी वि.वि. ग्वालियर से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि। कृतियां- बारह बरस का विजेता (बाल उपन्यास), जंग, वामा, मनुजी तेने बरन बनाए, मैं स्त्री हूं मुझे मारो, बागडोर (कहानी संग्रह), लीला, नमो अरिहंता, कटघरे, सुबह होगी, लिव इन रिलेशनशिप, किंबहुना, योनिमुद्रे नमोस्तुते (उपन्यास)। पुरस्कार-सम्मान- ‘‘बारह बरस का विजेता’’ (बाल उपन्यास पर) चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट द्वारा प्रथम राष्ट्रीय बाल साहित्य पुरस्कार। ‘‘नमो अरिहंता’’ (उपन्यास) के लिए मध्यप्रदेश साहित्य सम्मेलन द्वारा वागीश्वरी सम्मान। संप्रति- संपादक, किस्सा कोताह, हिंदी त्रैमासिक पत्रिका। पता- 20, ज्वाला माता गली (गढ़ैया), भिण्ड-477001 (मप्र) / W- 226, फेज-2, शताब्दीपुरम, ग्वालियर (मप्र) मोबा.9826695172, 7000 646 075 Email- [email protected] / [email protected]

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    Diya
    02 मई 2018
    क्यो हर बार किसी औरत को औरत ओर से सम्मानित तरीके से जीने देने के लिये एक कठोर रिश्ता बनाने और समाज को कायदों में बांधने की आवश्यकता होती है। आप पर कोई लगाम हो तभी आप लगाम में रहेंगे यह क्या बात होती है भला।आपका मन आपके नियंत्रण में होना चाहिए की आपके साथ कोई महिला चाहें आपकी पत्नी है दोस्त है परिवार की स्त्री है अनजान है फर्क नहीं पड़ना चाहिए।आपके मन मे आपकी निर्लज्ज कामनाओं के बदले में एक सम्मान हो एक स्त्री के लिए। जो शुद्ध हो।आपको अपनी हद बताने ओर स्त्री के प्रति वासना के अलावा एक मानवीय ओर सम्माननीय परिवेश के लिए किसी समाज की हद की आवश्यकता क्यो पड़ती है? ओर जो बड़ी दुख की बात है वो यह कि कोई लड़की गलत करे तो भी समाज उसे गलत ओर चरितहीन ठहरा देता है।और उसके साथ गलत हो तो भी उसे ही गलत ओर चरितहीन ठहरा दिया जाता है। और समाज उस लड़की और उसके परिवार से सम्मान से चैन से रहने का हक छीन लेते है ताने जलील ओर प्रश्नों की लड़ी हर समय आपके आसपास रहती है। इसलिए लडकिया अपने साथ कुछ गलत होता यही उसे सहती है किसी को बताती नहीं है।और उनके साथ यह होता जाता है। छेड़छाड़,दहेज के लिए प्रताड़ित करना ,घरेलू हिंसा,उनकी इच्छा का कोई सम्मान नहीं करना और उनका अपमान करना,उन्हें हर समय संदेह के घेरे में रखना यह सब सहन करती रहती है। सच है पर कड़वा है सभी औरते अपने सम्मान और अधिकार के लिए लड़ना ओर इन सब के प्रति खड़ी होना सिख ले तो रिश्ते टूटने की बौछार लग जायेगी।और अधिकांश लोगों द्वारा दोष आधुनिकता को दिया जाएगा। पर क्या महिला को सिर्फ त्याग,बलिदान ओर अपमानित होने के लिए बनाया है समाज ,इज्जत,परिवार को बचाने,चलाने सबकी जिम्मेदारी उठाने को निर्मित किया गया है और बदले में उसकी इच्छाओं ओर सपनो ओर जीवन की कुर्बानी, भारत मे बलात्कर के 4%मामले दर्ज होते है,जो 96%मामले कभी दर्ज नही होते ,दहेज,घरेलू हिंसा,छेड़छाड़ सभी की यही औसत कहानी है। यह सब जागरूकता कम होने के साथ साथ अपनी इज्जत ओर उछलने का बोझ भी सहकर चुप्पी साधी हुई है। भारत मे महिला होना एक योद्धा होने के समान है जिसकी पूरी जिंदगी लड़ते लड़ते गुजर जाती है अपनी इच्छाओं ,सम्मान ओर समाज के बीच ही।
  • author
    मंजू सिंह
    03 नवम्बर 2017
    दुनिया मे किसी का एहसान उतारने का यह कौन सा तरीका हुआ?? इच्छा किसी की पूरी हो रही है,एहसान किसी का उरर रहा है लेकिन इज्जत किस की जा रही है ?? किसी भी स्त्री की ऐसी रजा कभी नहीं हो सकती। अपनी इच्छा और इज्जत दोनो का सम्मान करना चाहिये था।गले नहीं उतरी आपकी कहानी।
  • author
    12 फ़रवरी 2018
    बहुत ही गहरी कहानी है ये शायद ही कोई समझ पाए लेकिन जिसके साथ ऐसा कुछ गुजरा होगा या होता है वो इंसान सारे जीवन के लिए निष्प्राण ही हो जाता है।। लिखने और शेयर करने के साहस को सॉल्युट
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    Diya
    02 मई 2018
    क्यो हर बार किसी औरत को औरत ओर से सम्मानित तरीके से जीने देने के लिये एक कठोर रिश्ता बनाने और समाज को कायदों में बांधने की आवश्यकता होती है। आप पर कोई लगाम हो तभी आप लगाम में रहेंगे यह क्या बात होती है भला।आपका मन आपके नियंत्रण में होना चाहिए की आपके साथ कोई महिला चाहें आपकी पत्नी है दोस्त है परिवार की स्त्री है अनजान है फर्क नहीं पड़ना चाहिए।आपके मन मे आपकी निर्लज्ज कामनाओं के बदले में एक सम्मान हो एक स्त्री के लिए। जो शुद्ध हो।आपको अपनी हद बताने ओर स्त्री के प्रति वासना के अलावा एक मानवीय ओर सम्माननीय परिवेश के लिए किसी समाज की हद की आवश्यकता क्यो पड़ती है? ओर जो बड़ी दुख की बात है वो यह कि कोई लड़की गलत करे तो भी समाज उसे गलत ओर चरितहीन ठहरा देता है।और उसके साथ गलत हो तो भी उसे ही गलत ओर चरितहीन ठहरा दिया जाता है। और समाज उस लड़की और उसके परिवार से सम्मान से चैन से रहने का हक छीन लेते है ताने जलील ओर प्रश्नों की लड़ी हर समय आपके आसपास रहती है। इसलिए लडकिया अपने साथ कुछ गलत होता यही उसे सहती है किसी को बताती नहीं है।और उनके साथ यह होता जाता है। छेड़छाड़,दहेज के लिए प्रताड़ित करना ,घरेलू हिंसा,उनकी इच्छा का कोई सम्मान नहीं करना और उनका अपमान करना,उन्हें हर समय संदेह के घेरे में रखना यह सब सहन करती रहती है। सच है पर कड़वा है सभी औरते अपने सम्मान और अधिकार के लिए लड़ना ओर इन सब के प्रति खड़ी होना सिख ले तो रिश्ते टूटने की बौछार लग जायेगी।और अधिकांश लोगों द्वारा दोष आधुनिकता को दिया जाएगा। पर क्या महिला को सिर्फ त्याग,बलिदान ओर अपमानित होने के लिए बनाया है समाज ,इज्जत,परिवार को बचाने,चलाने सबकी जिम्मेदारी उठाने को निर्मित किया गया है और बदले में उसकी इच्छाओं ओर सपनो ओर जीवन की कुर्बानी, भारत मे बलात्कर के 4%मामले दर्ज होते है,जो 96%मामले कभी दर्ज नही होते ,दहेज,घरेलू हिंसा,छेड़छाड़ सभी की यही औसत कहानी है। यह सब जागरूकता कम होने के साथ साथ अपनी इज्जत ओर उछलने का बोझ भी सहकर चुप्पी साधी हुई है। भारत मे महिला होना एक योद्धा होने के समान है जिसकी पूरी जिंदगी लड़ते लड़ते गुजर जाती है अपनी इच्छाओं ,सम्मान ओर समाज के बीच ही।
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    मंजू सिंह
    03 नवम्बर 2017
    दुनिया मे किसी का एहसान उतारने का यह कौन सा तरीका हुआ?? इच्छा किसी की पूरी हो रही है,एहसान किसी का उरर रहा है लेकिन इज्जत किस की जा रही है ?? किसी भी स्त्री की ऐसी रजा कभी नहीं हो सकती। अपनी इच्छा और इज्जत दोनो का सम्मान करना चाहिये था।गले नहीं उतरी आपकी कहानी।
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    12 फ़रवरी 2018
    बहुत ही गहरी कहानी है ये शायद ही कोई समझ पाए लेकिन जिसके साथ ऐसा कुछ गुजरा होगा या होता है वो इंसान सारे जीवन के लिए निष्प्राण ही हो जाता है।। लिखने और शेयर करने के साहस को सॉल्युट