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अभिमान

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सुहागसेज पर बैठी माधवी आँखों में आनंद को समाये हुए, आज अतीत की गलियों ने खो गयी थी |उसे एक -एक कर सबकुछ याद आ रहा था | बचपन से लेकर 9वीं क्लास तक स्कूल में हमेशा फर्स्ट आने वाली माधवी बोर्ड ...

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लेखक के बारे में
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Arya Jha

जीवन की खूबसूरती को प्रतिपल महसूस करती हूँ ,साहित्य एक निमित्त है जिसके द्वारा भावों की अभिव्यक्ति सुकून देती है !

समीक्षा