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प्रतिध्वनि

4.1
1175

मनुष्य की चिता जल जाती है, और बुझ भी जाती है परन्तु उसकी छाती की जलन, द्वेष की ज्वाला, सम्भव है, उसके बाद भी धक्-धक करती हुई जला करे। तारा जिस दिन विधवा हुई, जिस समय सब लोग रो-पीट रहे थे, उसकी ननद ...

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जयशंकर प्रसाद
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    Vijay Ninawe
    20 दिसम्बर 2020
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