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"पतंग"

4.4
66

"पतंग" "वो बेख़ौफ लाल पतंग, जो आसमान की बुलंदी की तरफ, उड़ान भर रहा था, वो बेशुमार हौसलों का मालिक, अपनी काबिलियत के दम पर, गगन से बातें कर रहा था, वो मासूम, बेजान सा पतंग, वो ईर्ष्या से अनजान ...

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लेखक के बारे में

🙏मैं मूल रूप से ख़ुद को साहित्यकार मानता हूँ | पेशे से एक शिक्षक हूँ | मुझे कहानी, कविता, ग़ज़ल, मुक्तक, डायरी, संस्मरण, उपन्यास इत्यादि लिखने का शौक है |🙏

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    02 अक्टूबर 2018
    बेमिसाल, बेजोड़,नायाब,अदभुत लेखन का परिचय दिया है आपने रचना क़ाबिले तारीफ़ है ऐसे अल्फाजो का सटीक इस्तेमाल कर रचना पेश की है आपने।
  • author
    03 अक्टूबर 2018
    जीवन की सच्चाई को उजागर करती हुई सार्थक रचना है । हार्दिक बधाई ।
  • author
    Neeha Bhasin
    02 अक्टूबर 2018
    bahut khoobsurat pratikatmak rachna ,
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    02 अक्टूबर 2018
    बेमिसाल, बेजोड़,नायाब,अदभुत लेखन का परिचय दिया है आपने रचना क़ाबिले तारीफ़ है ऐसे अल्फाजो का सटीक इस्तेमाल कर रचना पेश की है आपने।
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    03 अक्टूबर 2018
    जीवन की सच्चाई को उजागर करती हुई सार्थक रचना है । हार्दिक बधाई ।
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    Neeha Bhasin
    02 अक्टूबर 2018
    bahut khoobsurat pratikatmak rachna ,