pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

परदेसी सजन

5
1

झोंके से आई पुरवाई रुत सावन की आई मेरे यौवन ने ली अंगड़ाई रुत सावन की आई। मचल मचल जाए मन बारिश की बूंदे लगाये अगन चले आओ परदेसी   सजन झोंके से आई पुरवाई रुत सावन की आई भीगा भीगा मेरा तन चले आओ ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Shamshad Ahamad

मैं कोई लेखक नही हूँ ;बस अपने विचारों; अभिव्यक्तियों को अपने भारतीय समाज तक पहुंचाने की एक छोटी सी कोशिस करता हूँ ।7500623445

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    01 जुलाई 2025
    बहुत सुन्दर 🌹🙏
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    01 जुलाई 2025
    बहुत सुन्दर 🌹🙏