बचपन से जिसने अपना ली पढ़ने की कुर्सी , सारी उम्र उसकी मोहताज रही पढ़ने की कुर्सी , ना डाल पाए ये आदत जो बदनसीब , वो जी हजूरी करते रहे हमेशा , दूसरो की कुर्सी। ...
कुर्सी कोई भी हो ...
इंसान को कभी अपने
वक़्त पर घमंड नही करना
चाहिए,
जिंदगी है साहब साहब..
छोड़कर चली जाएगी, मेज
पर होगी तस्वीर और कुर्सी
खाली रह जाएगी...
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