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पढ़ने की कुर्सी।

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बचपन से जिसने अपना ली पढ़ने की कुर्सी , सारी उम्र उसकी मोहताज रही पढ़ने की कुर्सी , ना डाल पाए ये आदत जो बदनसीब , वो जी हजूरी करते रहे हमेशा , दूसरो की कुर्सी। ...

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लेखक के बारे में

🙏 Jay Shree Radhe Krishna 🙏

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mahendra Amin "मृदु"
    24 जुलाई 2024
    कुर्सी कोई भी हो ... इंसान को कभी अपने वक़्त पर घमंड नही करना चाहिए, जिंदगी है साहब साहब.. छोड़कर चली जाएगी, मेज पर होगी तस्वीर और कुर्सी खाली रह जाएगी...
  • author
    Nibha Verma
    24 जुलाई 2024
    वाह! बहुत अच्छा लिखा है आपने 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌🙏🙏
  • author
    rima thakur
    25 जुलाई 2024
    बहुत-बहुत बढ़िया रचना लगी ऐसे ही लिखते रहना धन्यवाद।
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    Mahendra Amin "मृदु"
    24 जुलाई 2024
    कुर्सी कोई भी हो ... इंसान को कभी अपने वक़्त पर घमंड नही करना चाहिए, जिंदगी है साहब साहब.. छोड़कर चली जाएगी, मेज पर होगी तस्वीर और कुर्सी खाली रह जाएगी...
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    Nibha Verma
    24 जुलाई 2024
    वाह! बहुत अच्छा लिखा है आपने 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌🙏🙏
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    rima thakur
    25 जुलाई 2024
    बहुत-बहुत बढ़िया रचना लगी ऐसे ही लिखते रहना धन्यवाद।