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नानी तो.

3.8
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ऐसी मान्यता है कि बड़े बुज़ुर्गों की आत्मा हमेशा हमारी रक्षा करती हैं और इस दुनिया से जाने के बाद भी अपने बच्चों की हिफाज़त करती है। इसी पर आधारित है मेरी कहानी, "नानी तो..."

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लेखक के बारे में
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आशा सिंह गौर
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jeet Gaur
    11 फ़रवरी 2016
    आशा मैनें आपकी कहानी पढ़ी जो मुझे बहुत अच्छी लगी। सरल भाषा की वजह से कहानी आसानी से समझ आती है। कभी-कभी जीवन में ऐसी घटनाऐं घट जाती हैं जो सहज सोच से परे होती हैं, इसका एहसास आपकी कहानी मैंं है।  लिखने का प्रयास अच्छा है, लिखते रहिए।
  • author
    Dhanya Kaimal
    11 फ़रवरी 2016
    Very Nicely  written , documenting simple lives and fears of simple people so beautifully.  More power to you ! Keep writing .
  • author
    शिल्पी रस्तोगी
    30 अप्रैल 2017
    kabhi kabhi bade bjurg sapne m aaker be hme reality m save krte h ..its true
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  • author
    Jeet Gaur
    11 फ़रवरी 2016
    आशा मैनें आपकी कहानी पढ़ी जो मुझे बहुत अच्छी लगी। सरल भाषा की वजह से कहानी आसानी से समझ आती है। कभी-कभी जीवन में ऐसी घटनाऐं घट जाती हैं जो सहज सोच से परे होती हैं, इसका एहसास आपकी कहानी मैंं है।  लिखने का प्रयास अच्छा है, लिखते रहिए।
  • author
    Dhanya Kaimal
    11 फ़रवरी 2016
    Very Nicely  written , documenting simple lives and fears of simple people so beautifully.  More power to you ! Keep writing .
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    शिल्पी रस्तोगी
    30 अप्रैल 2017
    kabhi kabhi bade bjurg sapne m aaker be hme reality m save krte h ..its true