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नगर वर ( वधु )

3.9
11160

लहसुनिया एक संस्कारित जवान , सुदृढ़ , सुगठित सुन्दर नौजवान था। घर परिवार अत्यंत धार्मिक , सत्यवादी परन्तु रूढ़ियों का पोषक परिवार था। वैचारिक स्वतंत्रता रत्ती भरनहीं थी। सब लड़कों को भाई समझो , सब ...

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लेखक के बारे में

लेखक , हिमाचल प्रदेश की सरकारी सेवा से , आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी के पद से , सेवानिवृत , कर्मचारी है। अब स्वतंत्र लेखन करता है। कविता , कहानी , उपन्यास की विधाओं में प्रकाशन भी हुआ है। अभिमन बालमन पत्रिका में हिमाचल का प्रतिनिधित्व प्रतिनिधि रूप में करता है। फेस बुक पर , Himächäli Täsrälä पेज चलाता है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    suresh srivastava
    16 ജൂലൈ 2020
    Inside dilemma is expressed meticulously, ultimately Sanskar dominates the story.👌👌
  • author
    Aakash's Effect
    25 ഏപ്രില്‍ 2018
    बढ़िया। नाम के अनुरूप कथानक रहा। इसे यदि पूर्ण कथा का विस्तार दिया जाता और हृदयस्पर्शता बढ़ जाती।
  • author
    03 ജനുവരി 2020
    सुंदर रचना नई सोच आज के युवाओं को रास्ता दिखाती छोटी लेकिन सारगर्भित रचना धन्यवाद कश्यप जी
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    suresh srivastava
    16 ജൂലൈ 2020
    Inside dilemma is expressed meticulously, ultimately Sanskar dominates the story.👌👌
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    Aakash's Effect
    25 ഏപ്രില്‍ 2018
    बढ़िया। नाम के अनुरूप कथानक रहा। इसे यदि पूर्ण कथा का विस्तार दिया जाता और हृदयस्पर्शता बढ़ जाती।
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    03 ജനുവരി 2020
    सुंदर रचना नई सोच आज के युवाओं को रास्ता दिखाती छोटी लेकिन सारगर्भित रचना धन्यवाद कश्यप जी