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मौनहिया का प्रेत

3.9
14711

अगर भूत को परिभाषित करने की कोशिश करें तो यह कहा जा सकता है कि जो वर्तमान न होकर अतीत हो, वही भूत है। सजीव या जीवन का तात्पर्य वर्तमान से है यानी जो अभी है, वही जीवन है पर अगर जीवन, सजीव, जीव ...

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लेखक के बारे में

प्रभाकर पाण्डेय जन्मतिथि :०१-०१-१९७६ जन्म-स्थान :गोपालपुर, पथरदेवा, देवरिया (उत्तरप्रदेश) शिक्षा :एम.ए (हिन्दी), एम. ए. (भाषाविज्ञान)  पिछले 18-19 सालों से हिन्दी की सेवा में तत्पर। पूर्व शोध सहायक (Research Associate), भाषाविद् के रूप में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) मुम्बई के संगणक एवं अभियांत्रिकी विभाग में भाषा और कंप्यूटर के क्षेत्र में कार्य। कई शोध-प्रपत्र राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत। वर्तमान में सी-डैक मुख्यालय, पुणे में कार्यरत। विभिन्न हिंदी, भोजपुरी पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    divya singh
    03 டிசம்பர் 2016
    Awsmm story
  • author
    kamlesh jha
    27 ஜூன் 2017
    this is wonderful story
  • author
    Akash Upadhyay
    16 அக்டோபர் 2019
    apki sari story bhut hi acchi hoti hai. aapke story padhakar bachpan ki Yad a jaati hai. bade log aisi story batate the
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  • author
    divya singh
    03 டிசம்பர் 2016
    Awsmm story
  • author
    kamlesh jha
    27 ஜூன் 2017
    this is wonderful story
  • author
    Akash Upadhyay
    16 அக்டோபர் 2019
    apki sari story bhut hi acchi hoti hai. aapke story padhakar bachpan ki Yad a jaati hai. bade log aisi story batate the