नीलू की चीख की आवाज सुन तारा भागती हुयी नीलू के कमरे में पहुंची , नीलू पसीने से तरबतर ,घबराई सी बैठी थी, " क्या हुआ बेटा...तारा घबराई सी बोली", मां..मां.. इससे ज्यादा शब्द निकल नही पाये नीलू के ...
इस लघुकथा में घटना का जिक्र तो है, लेकिन पढने के बाद कोई प्रभाव पैदा करने में सफल नहीं रही है। लघुकथाओं के बारे में जानने के लिय obo live के साइट पर लोग इन करें।
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