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मर गया है मानव, मर गई इंसानियत।

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क्या तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती। आईने में सामने खड़े होकर कैसे नजरे मिला लेते हो। आत्म सम्मान नाम की भी कोई चीज होती है। अपनी आत्मा से सामना कैसे कर लेते हो। अपनी ही जैसे इंसान का खून बहा कर। ...

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लेखक के बारे में
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Upasna Mishra

मन में उठ रहे भावों को अपनी डायरी में लिखना। कभी कविता के रूप में, कभी कहानी में। अपने आस पास के लोगों और समाज में हो रही बातों, घटनाओं को लेकर लिखना। मैंने 4 डिजिटल किताबें लिखी है। जो किंडल एमेजॉन में मौजूद है। मैंने पाडकसट भी बनाया है। जिसका नाम"कुछ सोचे और बोले" है।यह सभी प्लेटफार्म पर मौजूद है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Madhavi Sharma "Aparajita"
    19 मार्च 2022
    यथार्थ से परिपूर्ण,, बहुत ही प्रेरक प्रस्तुति,, शानदार लेखन,,,,
  • author
    Naveen Pawar
    16 मार्च 2022
    बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय🙏
  • author
    Raj Bahadur
    15 मार्च 2022
    बहुत सुंदर रचना लिखी
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Madhavi Sharma "Aparajita"
    19 मार्च 2022
    यथार्थ से परिपूर्ण,, बहुत ही प्रेरक प्रस्तुति,, शानदार लेखन,,,,
  • author
    Naveen Pawar
    16 मार्च 2022
    बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय🙏
  • author
    Raj Bahadur
    15 मार्च 2022
    बहुत सुंदर रचना लिखी