क्या तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती। आईने में सामने खड़े होकर कैसे नजरे मिला लेते हो। आत्म सम्मान नाम की भी कोई चीज होती है। अपनी आत्मा से सामना कैसे कर लेते हो। अपनी ही जैसे इंसान का खून बहा कर। ...
मन में उठ रहे भावों को अपनी डायरी में लिखना। कभी कविता के रूप में, कभी कहानी में। अपने आस पास के लोगों और समाज में हो रही बातों, घटनाओं को लेकर लिखना। मैंने 4 डिजिटल किताबें लिखी है। जो किंडल एमेजॉन में मौजूद है। मैंने पाडकसट भी बनाया है। जिसका नाम"कुछ सोचे और बोले" है।यह सभी प्लेटफार्म पर मौजूद है।
सारांश
मन में उठ रहे भावों को अपनी डायरी में लिखना। कभी कविता के रूप में, कभी कहानी में। अपने आस पास के लोगों और समाज में हो रही बातों, घटनाओं को लेकर लिखना। मैंने 4 डिजिटल किताबें लिखी है। जो किंडल एमेजॉन में मौजूद है। मैंने पाडकसट भी बनाया है। जिसका नाम"कुछ सोचे और बोले" है।यह सभी प्लेटफार्म पर मौजूद है।
रिपोर्ट की समस्या
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