हर रोज़ की तरह आज भी बडबडाते हुऐ पंकज घर से बाहर आ गया और हर रोज़ की तरह आज भी पूजा घर के भीतर बस यही सोचती रह गयी कि तन-मन से स्वंय को अर्पण कर के भी उसे क्या मिला पंकज से? कटाक्ष "मैनेजर साहिबा", ...
नारी को ना जाने कितनी प्रताड़नाओ से गुजरना पड़ता है,, पुजा ने तानों को चुनौती समझकर स्वीकार किया,, इसीलिए वो सफल हो अपने पति ओर परिवार को पश्चाताप के लिए मजबूर कर गयी,, वर्ना ज्यादातर तो इन हालतो मे हार मानकर डिप्रेशन मे चले जाते है,, बहुत प्रेरक कहानी ✍️
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प्रेरक प्रसंग..हालांकि पूजा के मैनेजर बनने पर पंकज का व्यवहार बदलना थोड़ा अटपटा लगा क्योंकि अब तो उसके अहम को और भी चोट पहुंची...वर्तनी की अशुद्धियों पर कृपया ध्यान दें
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