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मन का कोना ……

4.7
1369

ख़यालों की सीढ़ियों पर बैठकर , एक शाम सुकून से , ढलते सूरज को देखना बुरा नहीं है …… सूरज के ढलने पर सारी गलियों का केसरिया रंग ओढ़ लेना.... बुरा नहीं है.……… हरी घास का आसरा लेकर एक धुंधली रौशनी के साथ ...

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समीक्षा
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  • author
    Lalit Rayal
    11 अक्टूबर 2015
    सर्वप्रथम प्रतिलिपि का आभार ऐसे प्रयासों के लिए .... हिमानी की कविताएँ और उनके चित्र अंतस के साकार रूप हैं .....
  • author
    sant geet
    11 अक्टूबर 2015
    कविता खट्टी मीठी यादों का पिटारा   
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    15 अक्टूबर 2015
    पूर्ण रूपेण राष्ट्र भाषा हिंदी को नहीं अपनाती है । बकवास कविता है । हिंदी का कमजोर ज्ञान दर्शाती है । मैंने ज़ोर शब्द कहीं लिखा ही नहीं हैं ।आपको नाम तक लिखना ठीक से आता नहीं ।एक बात और कि मुझे इसी प्रतियोगिता में शामिल दो कविताओं हेतु एक अल्प ज्ञान कवियत्री , जिसको मात्रा तक का ज्ञान नहीं ,उसने उसकी कविता को समर्थन देने को कहा तो मैंने , सर्व प्रथम उसे unfriend किया । क्योंकि उसका लक्ष्य वास्तविकता से परे धनार्जन ही था , रास्ता चाहे जो भी अपनाना पड़े ।अतः कमेंट सिर्फ कविता पर है । और मुझे बिना किसी favour के समर्थन/ बिरोध कड़ा ही करना है । कोई खुश रहे या नाराज कोई फर्क नहीं पड़ता ।जब malafide तरीके से लोग बड़े कवि व लेखक बनना चाहते हैं वह भी fb मित्रता को भुनाकर । मैं किसी का अंधा समर्थन नहीं कर सकता । सादर धन्यवाद ।
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    Lalit Rayal
    11 अक्टूबर 2015
    सर्वप्रथम प्रतिलिपि का आभार ऐसे प्रयासों के लिए .... हिमानी की कविताएँ और उनके चित्र अंतस के साकार रूप हैं .....
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    sant geet
    11 अक्टूबर 2015
    कविता खट्टी मीठी यादों का पिटारा   
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    Satyendra Kumar Upadhyay
    15 अक्टूबर 2015
    पूर्ण रूपेण राष्ट्र भाषा हिंदी को नहीं अपनाती है । बकवास कविता है । हिंदी का कमजोर ज्ञान दर्शाती है । मैंने ज़ोर शब्द कहीं लिखा ही नहीं हैं ।आपको नाम तक लिखना ठीक से आता नहीं ।एक बात और कि मुझे इसी प्रतियोगिता में शामिल दो कविताओं हेतु एक अल्प ज्ञान कवियत्री , जिसको मात्रा तक का ज्ञान नहीं ,उसने उसकी कविता को समर्थन देने को कहा तो मैंने , सर्व प्रथम उसे unfriend किया । क्योंकि उसका लक्ष्य वास्तविकता से परे धनार्जन ही था , रास्ता चाहे जो भी अपनाना पड़े ।अतः कमेंट सिर्फ कविता पर है । और मुझे बिना किसी favour के समर्थन/ बिरोध कड़ा ही करना है । कोई खुश रहे या नाराज कोई फर्क नहीं पड़ता ।जब malafide तरीके से लोग बड़े कवि व लेखक बनना चाहते हैं वह भी fb मित्रता को भुनाकर । मैं किसी का अंधा समर्थन नहीं कर सकता । सादर धन्यवाद ।