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मदहोशी का आलम और प्रणय

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चेहरे पर घिरे मेरी  जुल्फों के बादल धनेरें आकर सरकाया जो धीरे से तुमने। बंद आँखों को जो खोला हमने अदा से क्या कहूँ  नशे मे लबालब हो गई। न जी चाहा कि उतर कर नशे से बाहर आ जाऊँ खोलकर बाहें  अपनी  ...

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लेखक के बारे में
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Poonam Kaparwan pikku

. वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोडना अच्छा... ये चंद पंक्ति साहिर जी की मुझे प्रिय है। गायकी, नृत्य लेखन, पेंटिंग की शौकीन मिज़ाज। अकेले रहना और अंतर्मन से बातें करना पंसद है। योग साधना आध्यात्मिक रुचि। संवेदनशील भाव।प्रकृति के करीब रहना आदत है। पक्षियों पशु से लगाव है। प्रतिलिपि पर मेरा आगमन अगस्त 2018 में हुआ। ये सिलसिला चल रहा है और चलता रहेगा। प्रतिलिपि के सफर में बहुत बेहतरीन उतार चढ़ाव ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। बहुत से समालोचक आलोचकों से। बहुत कुछ सीखा आलोचना एक साबुन की तरह मेरे मार्गदर्शक की तरह रही देवभूमि उत्तराखंड से हूँ । किसी को आहत नहीं करती भले मै संवेदना समेट लूं जीवन रुकता नहीं अंतहीन सफर है। धन्यवाद।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    पवनेश मिश्रा
    08 अप्रैल 2020
    प्रणय और माधुर्य रस की उत्तम काव्य रचना, बधाई पूनम जी 🙏🌹🙏,
  • author
    Khushbu Tyagi
    09 अप्रैल 2020
    बहुत ही खूबसूरत रचना मैम,दिल को छू जाने वाली 🙏👌👌👍👍💐💐
  • author
    Aditi Tandon
    08 अप्रैल 2020
    वाह जी वाह बहुत खूब 👌👌👌🌹🌹🌹
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    पवनेश मिश्रा
    08 अप्रैल 2020
    प्रणय और माधुर्य रस की उत्तम काव्य रचना, बधाई पूनम जी 🙏🌹🙏,
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    Khushbu Tyagi
    09 अप्रैल 2020
    बहुत ही खूबसूरत रचना मैम,दिल को छू जाने वाली 🙏👌👌👍👍💐💐
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    Aditi Tandon
    08 अप्रैल 2020
    वाह जी वाह बहुत खूब 👌👌👌🌹🌹🌹