क्यूं दर्द-ए-दिल इक पल को थमता नहीं? क्यूं लाखों जख्म लेकर के थकता नहीं? यूं तो शांत होकर के टूटता रहा खुद में, ये दर्द कैसा है जो इक पल को हटता नहीं? क्या गलत हो रहा क्या सही ये देखते गए। हो रहे ...
क्यूं दर्द-ए-दिल इक पल को थमता नहीं? क्यूं लाखों जख्म लेकर के थकता नहीं? यूं तो शांत होकर के टूटता रहा खुद में, ये दर्द कैसा है जो इक पल को हटता नहीं? क्या गलत हो रहा क्या सही ये देखते गए। हो रहे ...