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राँची के गेस्ट हाउस में एक डरावनी रात - एक सत्य घटना

2.5
33758

यह एक सत्य घटना है

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लेखक के बारे में
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मंजू शर्मा
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    26 ಏಪ್ರಿಲ್ 2018
    कहानी का प्लाट अच्छा है लेकिन लिखने के तरीके में थोड़ी कमी है जिसमें सुधार किया जा सकता है। एक दो जगह वर्तनी में कुछ गलतियाँ हैं जिन्हे सुधारा जा सकता है। शुरुआत के अनुच्छेद में 'गेस्ट हॉउस' के बाद वाक्य नेक्स्ट लाइन में चला जाता है जिसकी की जरूरत नहीं है। ये प्रस्तुतिकरण की छोटी मोटी गलतियाँ है जो नहीं होनी चाहिए थी। कहानी की बात करूँ तो अभी पाठक के रूप में मैं मुख्य किरदार के मन के भावों को महसूस नहीं कर पा रहा हूँ। पानी के टपकने से मन में जो संशय उत्पन्न हुआ और जो बाद में डर में तब्दील हुआ उसे महसूस नहीं कर पा रहा हूँ। यही हाल होटल के डरावने माहौल का है। इन चीजों पर काम करके इन्हे सही तरीके से दर्शाया जाता तो यकीनन कहानी और अच्छी हो सकती थी। बाकी अच्छी कोशिश है।
  • author
    Ashutosh Haritwal
    14 ಜೂನ್ 2018
    तो वहां जाके आप पता कीजिये यहाँ क्यो स्टोरी लिख के हम सबका समय बर्बाद कर रहे हो
  • author
    04 ಏಪ್ರಿಲ್ 2018
    इतनी घटिया कहानी कैसे लिख सकता है कोई
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    26 ಏಪ್ರಿಲ್ 2018
    कहानी का प्लाट अच्छा है लेकिन लिखने के तरीके में थोड़ी कमी है जिसमें सुधार किया जा सकता है। एक दो जगह वर्तनी में कुछ गलतियाँ हैं जिन्हे सुधारा जा सकता है। शुरुआत के अनुच्छेद में 'गेस्ट हॉउस' के बाद वाक्य नेक्स्ट लाइन में चला जाता है जिसकी की जरूरत नहीं है। ये प्रस्तुतिकरण की छोटी मोटी गलतियाँ है जो नहीं होनी चाहिए थी। कहानी की बात करूँ तो अभी पाठक के रूप में मैं मुख्य किरदार के मन के भावों को महसूस नहीं कर पा रहा हूँ। पानी के टपकने से मन में जो संशय उत्पन्न हुआ और जो बाद में डर में तब्दील हुआ उसे महसूस नहीं कर पा रहा हूँ। यही हाल होटल के डरावने माहौल का है। इन चीजों पर काम करके इन्हे सही तरीके से दर्शाया जाता तो यकीनन कहानी और अच्छी हो सकती थी। बाकी अच्छी कोशिश है।
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    Ashutosh Haritwal
    14 ಜೂನ್ 2018
    तो वहां जाके आप पता कीजिये यहाँ क्यो स्टोरी लिख के हम सबका समय बर्बाद कर रहे हो
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    04 ಏಪ್ರಿಲ್ 2018
    इतनी घटिया कहानी कैसे लिख सकता है कोई