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हनियां

4.7
14615

बुंदेलखंड के बीहड़ों में भटकती ज़िंदगी की सच्ची कहानी...

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लेखक के बारे में
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विवेक मिश्र

परिचय-विवेक मिश्र 15 अगस्त 1970 को उत्तर प्रदेश के झांसी शहर में जन्म. विज्ञान में स्नातक, दन्त स्वास्थ विज्ञान में विशेष शिक्षा, पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नात्कोत्तर. तीन कहानी संग्रह- ‘हनियाँ तथा अन्य कहानियाँ’-शिल्पायन, ‘पार उतरना धीरे से’-सामायिक प्रकाशन एवं ‘ऐ गंगा तुम बहती हो क्यूँ?’- किताबघर प्रकाशन तथा उपन्यास ‘डॉमनिक की वापसी’ किताबघर प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित. 'Light through a labyrinth' शीर्षक से कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद राईटर्स वर्कशाप, कोलकाता से तथा पहले संग्रह की कहानियों का बंगला अनुवाद डाना पब्लिकेशन, कोलकाता से तथा बाद के दो संग्रहों की चुनी हुई कहानियों का बंग्ला अनुवाद भाषालिपि, कोलकाता से प्रकाशित. लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व कहानियाँ प्रकाशित. कुछ कहानियाँ संपादित संग्रहों व स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में शामिल. साठ से अधिक वृत्तचित्रों की संकल्पना एवं पटकथा लेखन. चर्चित कहानी ‘थर्टी मिनट्स’ पर ‘30 मिनट्स’ के नाम से फीचर फिल्म बनी जो दिसंबर 2016 में रिलीज़ हुई. कहानी- ‘कारा’ ‘सुर्ननोस-कथादेश पुरुस्कार-2015’ के लिए चुनी गई. कहानी संग्रह ‘पार उतरना धीरे से’ के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा वर्ष 2015 का ‘यशपाल पुरस्कार’ मिला. पहले उपन्यास ‘डॉमानिक की वापसी’ को किताबघर प्रकाशन के ‘आर्य स्मृति सम्मान-2015’ के लिए चुना गया. हिमाचल प्रदेश की संस्था ‘शिखर’ द्वारा ‘शिखर साहित्य सम्मान-2016’ दिया गया तथा ‘हंस’ में प्रकाशित कहानी ‘और गिलहरियाँ बैठ गईं..’ के लिए ‘रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार- 2016’ मिला. मो-9810853128 ईमेल- [email protected]

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  • author
    Hemant Jha
    01 నవంబరు 2019
    विवेक जी पहले तो यह बताइये कि क्या यह सत्य घटना पर आधारित कहानी है या कुछ सत्य घटनाओं और वास्तविक चरित्रों का एक शातिर शेफ द्वारा बनाई गई एक अद्भुत रेसिपी । मेरा मन मानने को तैयार नहीं है कि हनिया काल्पनिक है । आप का लेखन जादूगरी से भीगा हुआ है । पाठकों को आपने हिप्नोटाइज कर कथा (यदि यह कथा है तो) के अंत तक जाने पर मजबूर कर दिया । बरसों बाद एक सशक्त कहानी मिली । मनोहर कहानियों से उठकर कोई एक्स फैक्टर है इस कहानी में । बस यही कहूंगा कि जीवन में सदैव अपनी ईश्वर प्रदत्त प्रतिभा के साथ न्याय करना । कम लिखना पर जबरदस्त लिखना । हार्दिक शुभकामनाएं ।
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    Poonam Kaparwan pikku
    22 సెప్టెంబరు 2019
    श्रीमान जी रुहाँ काँप गई मेरी विश्वजीत कितना निरदयी नीच भोगी विलासी इन्सान था !बलात्कार की हर सीमा तोड दी। हर औरत के शरीर का भोगी औरत सूख की गन्दी चाहत ।ईश्वर ने औलाद नहीं बख्शीश मे दी ।पत्नी भी  धृणा करती थी ।थाने मे हनिया से बल पूर्वक नारी का बलात्कार साथ और सिपाहियों ने भी  रौदा ।औरत थी ।बेचारी ।जलती चिता मे भी  अभय के साथ जला दिया जब वो गर्भवती थी। तीन लोगों के बल की निशानी कितना दर्द झेला हनिया ने ।रे राम ।अंत सही पुरुषत्व होने का ।हनिया की बहन ने सहवास कर उसका अंग काट दिया सही किया और अंत मे गीता का श्लोक पाप का घडा भर गया था ।विश्वजीत का ।फूलन देवी जी का चित्रण भी  लगा ।वो भी  अनेक कष्टों को और बलात्कार की पीडा सहकर डकैत बनी ।मैं पहली बार प्रतिलिपि पर ऐसा दर्दनाक नारी उत्पीड़न की कहानी पढ रही हूँ ।नशा राजनौतिक कारण भी  दिखाए ।लाजवाब लेखन ।
  • author
    Rimjhim Saurabh Varshney
    05 జూన్ 2019
    Kya khoob likha hai, shabd nahi mil rahe aapki taarif ke liye, bhot samay baad Etna Achcha padne ko mila, kitni bhayanak sachchai hai yeh humare so called system ki
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    Hemant Jha
    01 నవంబరు 2019
    विवेक जी पहले तो यह बताइये कि क्या यह सत्य घटना पर आधारित कहानी है या कुछ सत्य घटनाओं और वास्तविक चरित्रों का एक शातिर शेफ द्वारा बनाई गई एक अद्भुत रेसिपी । मेरा मन मानने को तैयार नहीं है कि हनिया काल्पनिक है । आप का लेखन जादूगरी से भीगा हुआ है । पाठकों को आपने हिप्नोटाइज कर कथा (यदि यह कथा है तो) के अंत तक जाने पर मजबूर कर दिया । बरसों बाद एक सशक्त कहानी मिली । मनोहर कहानियों से उठकर कोई एक्स फैक्टर है इस कहानी में । बस यही कहूंगा कि जीवन में सदैव अपनी ईश्वर प्रदत्त प्रतिभा के साथ न्याय करना । कम लिखना पर जबरदस्त लिखना । हार्दिक शुभकामनाएं ।
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    Poonam Kaparwan pikku
    22 సెప్టెంబరు 2019
    श्रीमान जी रुहाँ काँप गई मेरी विश्वजीत कितना निरदयी नीच भोगी विलासी इन्सान था !बलात्कार की हर सीमा तोड दी। हर औरत के शरीर का भोगी औरत सूख की गन्दी चाहत ।ईश्वर ने औलाद नहीं बख्शीश मे दी ।पत्नी भी  धृणा करती थी ।थाने मे हनिया से बल पूर्वक नारी का बलात्कार साथ और सिपाहियों ने भी  रौदा ।औरत थी ।बेचारी ।जलती चिता मे भी  अभय के साथ जला दिया जब वो गर्भवती थी। तीन लोगों के बल की निशानी कितना दर्द झेला हनिया ने ।रे राम ।अंत सही पुरुषत्व होने का ।हनिया की बहन ने सहवास कर उसका अंग काट दिया सही किया और अंत मे गीता का श्लोक पाप का घडा भर गया था ।विश्वजीत का ।फूलन देवी जी का चित्रण भी  लगा ।वो भी  अनेक कष्टों को और बलात्कार की पीडा सहकर डकैत बनी ।मैं पहली बार प्रतिलिपि पर ऐसा दर्दनाक नारी उत्पीड़न की कहानी पढ रही हूँ ।नशा राजनौतिक कारण भी  दिखाए ।लाजवाब लेखन ।
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    Rimjhim Saurabh Varshney
    05 జూన్ 2019
    Kya khoob likha hai, shabd nahi mil rahe aapki taarif ke liye, bhot samay baad Etna Achcha padne ko mila, kitni bhayanak sachchai hai yeh humare so called system ki