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घरेलू हिंसा

4.4
11920

""अरे,,, ओ कमलू काहे कूट रहा है रे सुबह से शांता को,सारे गांव में कोहराम मचा रखा है तुमदोनो ने ,ई रोज-रोज का कुटाई और तुम्हरी लुगाई का रुलाई सुन- सुन के साला हमरा तो कान ही फुट गवा है, गांव की सरपंच ...

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लेखक के बारे में
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निशा रावल
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Uttam Kumar
    24 जुलाई 2018
    ये शराब नाम का कोढ़ हमारे देश को भीतर ही भीतर खाये जा रहा है और सरकार इसका उत्पादन कर टैक्स खा रही है।
  • author
    Yogendra Singh
    22 मार्च 2019
    देशी भाषा में कही गई एक संदेश भरी कथा लिखने के लिए बधाई स्वीकार करें
  • author
    मनीष यादव "MANI"
    24 जुलाई 2018
    संदेशात्मक,प्रेरणात्मक सामाजिक कथा के लिए बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएँ ।
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    Uttam Kumar
    24 जुलाई 2018
    ये शराब नाम का कोढ़ हमारे देश को भीतर ही भीतर खाये जा रहा है और सरकार इसका उत्पादन कर टैक्स खा रही है।
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    Yogendra Singh
    22 मार्च 2019
    देशी भाषा में कही गई एक संदेश भरी कथा लिखने के लिए बधाई स्वीकार करें
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    मनीष यादव "MANI"
    24 जुलाई 2018
    संदेशात्मक,प्रेरणात्मक सामाजिक कथा के लिए बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएँ ।