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पहला किस

4.5
203242

प्यार भरे दिलों की पहली किस

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लेखक के बारे में
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विनीत शर्मा

पेशे से चिकित्सक, साहित्य में अज्ञानी। त्रुटियों के लिए स्पर्शक की क्षमा प्रार्थना 🙏🙏 . आपत्ति दर्ज करने या सुझाव के लिए आप मेरे फोन पर भी संपर्क साध सकते हैं। 9999656568

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    रीता जाँगिड़
    16 ജൂലൈ 2019
    किशोरावस्था के कोमल और अनजाने मनोभावों से शुरू होकर युवावस्था में परिपक्व सोच, समझ और भावनाओं के साथ अंत प्राप्त करती यह कहानी वाकई बेहद खूबसूरत है।नायक- नायिका के अलावा आसपास के लोगों के किरदार भी बखूबी उकेरा गया है।विभिन्न समय-काल और परिस्थितियों में गोते लगाकर एक सुखद किनारे पर पहुँचती यह कहानी रोचकता लिए हुए है साथ ही यह भी बताती है कि पहले प्रेम का पहला अहसास सदियां बीत जाए पर भुलाया नहीं जा सकता।... एक बेहतरीन रचना के सृजन हेतु आपको पुनः कोटि-कोटि बधाइयां💐💐💐 और प्रतिलिपि से यह शिकायत भी है कि जिस तरह समीक्षा हटीं है यह लेखक के साथ-साथ समीक्षकों का भी अपमान है। एक लेखक बहुमूल्य समय अपनी रचनाओं में पूँजी की तरह निवेश करता है और पाठक उस रचना को अपना समय देकर पढ़ता है , रचना को समझकर समीक्षा देता है। बाद में पता चले की समीक्षाएं हट गईं हैं या फिर रचनाएँ हट गईं हैं तो फिर बहुत बुरा महसूस होता है। टीम प्रतिलिपि से भी यह निवेदन है कि यदि एप से संबंधित कोई समस्या है तो उसे ठीक करने की कृपा करें ताकि इन समस्याओं से अपना ध्यान हटाकर हम भी अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और आपका साथ दे सकें।🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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    R K
    05 മെയ്‌ 2019
    केवल चार स्टार । एक काट लिया इसके कारण लिखने जा रही हूँ। आपने मुझे बहुत सुनाया।पर मुझे इस बात का दुःख नहीं है। क्योंकि हर विद्यार्थी एक अच्छी शिक्षिका से नफरत ही करता है। अब चाहती तो एक स्टार और काटती लेकिन आपका दिल दुःख गया इस लिए माफ चाहूंगी। अब बात करते हैं आपकी कहानी की कमियों की - 1. पहली बात तो यह की विनीत जी ऐसी कौनसी स्कूल है जिसमे लडकिया स्कर्ट पहनती हैं। खैर आपने पहना दिया कोई बात नहीं। लेकिन कहानी की शुरुआत बहुत शानदार हुई। कहानी के बीच में बोरियत महसूस हुई जब आप खुद वर्णनकर्ता बनने की बजाय वापस नीलेश की कहानी सुनाने लगे। खैर उसके बाद जब आप अचानक लड़की पात्र बनाकर बोलने लगे तो बहुत अजीब लगा लेकिन तब तक कहानी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी। फिर जिज्ञासा हुई की नीलेश ग्रोजरी की दूकान पर काम कैसे करने लगा। लेकिन उसका जवाब भी आपने दे दिया। बाद में कहानी का अंत बहुत ही प्यारा लगा और वो किस तो कमाल का था। इसकी के साथ कहानी खत्म हो गई। लेकिन कहानी कहीं कहीं बिखरी सी लगी। मैं आपको एक सलाह देना चाहूंगी आपको। आप जब भी कहानी कहें तो या तो आप खुद वर्णन कर्ता बनकर कहें या फिर किसी पात्रो को लेकर कहें। आप जो बार बार ऐसा करते हैं इससे कहानी में बोरियत महसूस होती है। खैर जो भी अगर आप बीच बीच में ऐसा नहीं करते तो कहानी 5 स्टार के लायक थी। अब कैसी शिक्षिका हूँ ये आपको बताती हूँ। आपकी कहानी में कुछ त्रुटियां है - भईया, माहौल, लड़ाईयां, आदि। एक जगह और गलती थी आपकीं कहानी में एक जगह आपने अपने बारे में बोला की आपको कुमुद की सुंदरता आकर्षित कर रही थी तो वही अगली लाइन में आपने वाक्य लिख दिया की मुझे तो बस पढ़ने से लगाव था। तो आप इसे ऐसे भी लिख सकते थे ( मैं तो वो लड़का था जो हमेशा पढाई पर ध्यान देता था लेकिन एकाएक जैसे ही कुमुद की आँखों में देखा तो वो मैं उसकी और आकर्षित होने लगा) कहानी का जितना अच्छा अंत है अगर उतनी ही अच्छी बीच में से होती तो और भी अच्छा होता। रही बात प्रतिलिपि पर पढ़े गए मेरे 18000 शब्दों की बात तो बहुत से ऐसे लेखक हैं जो मुझे कहानी पोस्ट करने से पहले पेस्ट करके मुझे इनबॉक्स में भेझ देते हैं। तो वहां पढ़ना भी कहानी पढ़ना ही होता है। विनीत जी। काश आप अपने शब्दों पर लगाम लगा लेते। आप क्या लिखते हैं इसका जवाब आप नहीं देंगे बल्कि व्यवसायिक पत्रिकाओं के संपादक देंगे। आप अपनी कहानियां वहां भेजिए आपको भी अपने हुनर को तराशने का मौका मिलेगा। यहाँ झूठी तारीफे भी बहुत मिलती हैं।
  • author
    पूनम रानी
    16 ജൂലൈ 2019
    vah bhut acchi rachna ha. म तो पहले भी पढ़ चुकी हूँ,सारी समीक्षाएँ कहाँ गयी।प्रेम का अहसास कराती आपकी रचना बहुत अच्छी है।जबरदस्त
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    रीता जाँगिड़
    16 ജൂലൈ 2019
    किशोरावस्था के कोमल और अनजाने मनोभावों से शुरू होकर युवावस्था में परिपक्व सोच, समझ और भावनाओं के साथ अंत प्राप्त करती यह कहानी वाकई बेहद खूबसूरत है।नायक- नायिका के अलावा आसपास के लोगों के किरदार भी बखूबी उकेरा गया है।विभिन्न समय-काल और परिस्थितियों में गोते लगाकर एक सुखद किनारे पर पहुँचती यह कहानी रोचकता लिए हुए है साथ ही यह भी बताती है कि पहले प्रेम का पहला अहसास सदियां बीत जाए पर भुलाया नहीं जा सकता।... एक बेहतरीन रचना के सृजन हेतु आपको पुनः कोटि-कोटि बधाइयां💐💐💐 और प्रतिलिपि से यह शिकायत भी है कि जिस तरह समीक्षा हटीं है यह लेखक के साथ-साथ समीक्षकों का भी अपमान है। एक लेखक बहुमूल्य समय अपनी रचनाओं में पूँजी की तरह निवेश करता है और पाठक उस रचना को अपना समय देकर पढ़ता है , रचना को समझकर समीक्षा देता है। बाद में पता चले की समीक्षाएं हट गईं हैं या फिर रचनाएँ हट गईं हैं तो फिर बहुत बुरा महसूस होता है। टीम प्रतिलिपि से भी यह निवेदन है कि यदि एप से संबंधित कोई समस्या है तो उसे ठीक करने की कृपा करें ताकि इन समस्याओं से अपना ध्यान हटाकर हम भी अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और आपका साथ दे सकें।🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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    R K
    05 മെയ്‌ 2019
    केवल चार स्टार । एक काट लिया इसके कारण लिखने जा रही हूँ। आपने मुझे बहुत सुनाया।पर मुझे इस बात का दुःख नहीं है। क्योंकि हर विद्यार्थी एक अच्छी शिक्षिका से नफरत ही करता है। अब चाहती तो एक स्टार और काटती लेकिन आपका दिल दुःख गया इस लिए माफ चाहूंगी। अब बात करते हैं आपकी कहानी की कमियों की - 1. पहली बात तो यह की विनीत जी ऐसी कौनसी स्कूल है जिसमे लडकिया स्कर्ट पहनती हैं। खैर आपने पहना दिया कोई बात नहीं। लेकिन कहानी की शुरुआत बहुत शानदार हुई। कहानी के बीच में बोरियत महसूस हुई जब आप खुद वर्णनकर्ता बनने की बजाय वापस नीलेश की कहानी सुनाने लगे। खैर उसके बाद जब आप अचानक लड़की पात्र बनाकर बोलने लगे तो बहुत अजीब लगा लेकिन तब तक कहानी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी। फिर जिज्ञासा हुई की नीलेश ग्रोजरी की दूकान पर काम कैसे करने लगा। लेकिन उसका जवाब भी आपने दे दिया। बाद में कहानी का अंत बहुत ही प्यारा लगा और वो किस तो कमाल का था। इसकी के साथ कहानी खत्म हो गई। लेकिन कहानी कहीं कहीं बिखरी सी लगी। मैं आपको एक सलाह देना चाहूंगी आपको। आप जब भी कहानी कहें तो या तो आप खुद वर्णन कर्ता बनकर कहें या फिर किसी पात्रो को लेकर कहें। आप जो बार बार ऐसा करते हैं इससे कहानी में बोरियत महसूस होती है। खैर जो भी अगर आप बीच बीच में ऐसा नहीं करते तो कहानी 5 स्टार के लायक थी। अब कैसी शिक्षिका हूँ ये आपको बताती हूँ। आपकी कहानी में कुछ त्रुटियां है - भईया, माहौल, लड़ाईयां, आदि। एक जगह और गलती थी आपकीं कहानी में एक जगह आपने अपने बारे में बोला की आपको कुमुद की सुंदरता आकर्षित कर रही थी तो वही अगली लाइन में आपने वाक्य लिख दिया की मुझे तो बस पढ़ने से लगाव था। तो आप इसे ऐसे भी लिख सकते थे ( मैं तो वो लड़का था जो हमेशा पढाई पर ध्यान देता था लेकिन एकाएक जैसे ही कुमुद की आँखों में देखा तो वो मैं उसकी और आकर्षित होने लगा) कहानी का जितना अच्छा अंत है अगर उतनी ही अच्छी बीच में से होती तो और भी अच्छा होता। रही बात प्रतिलिपि पर पढ़े गए मेरे 18000 शब्दों की बात तो बहुत से ऐसे लेखक हैं जो मुझे कहानी पोस्ट करने से पहले पेस्ट करके मुझे इनबॉक्स में भेझ देते हैं। तो वहां पढ़ना भी कहानी पढ़ना ही होता है। विनीत जी। काश आप अपने शब्दों पर लगाम लगा लेते। आप क्या लिखते हैं इसका जवाब आप नहीं देंगे बल्कि व्यवसायिक पत्रिकाओं के संपादक देंगे। आप अपनी कहानियां वहां भेजिए आपको भी अपने हुनर को तराशने का मौका मिलेगा। यहाँ झूठी तारीफे भी बहुत मिलती हैं।
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    पूनम रानी
    16 ജൂലൈ 2019
    vah bhut acchi rachna ha. म तो पहले भी पढ़ चुकी हूँ,सारी समीक्षाएँ कहाँ गयी।प्रेम का अहसास कराती आपकी रचना बहुत अच्छी है।जबरदस्त