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एक सच्ची कहानी - उड़ान

4.1
1633

पहाड़ो में , हरियाली के बीच पल रहा स्वछन्द प्रकृति का शरारती बालक था अवि । घर में चारों ओर कंगाली का बसेरा था पर माँ का लाडला , बाबा की आँखों का तारा , मिनी और नील के लिए इच्छाएँ पूरी करने वाला ...

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लेखक के बारे में
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मधु त्यागी

उषा दीदी के पदचिह्नों पर चलकर मैंने लिखना शुरू किया । मम्मी -पापा जिन्होंने मुझे इस लायक बनाया कि मैं अपनी भावनाओं को कविता -कहानी का रूप दे पाऊँ । जीवन की राहों पर मिले वे सभी व्यक्ति जिनसे प्रेरणा पाकर मैंने कविता - कहानियों की रचना की ( निशा मैंम ,वीना मैंम , भट्टाचार्या मैंम , एन.एम.भटिया सर,कपिल,संजय ,अन्ना भईया ) जो आज भी मेरे लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं ।वह जो आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन मेरी रचनाओं में आज भी जीवित है और वह जिसके कारण मैं अपनी इधर -उधर बिखरी रचनाओं को एकत्रित कर पाई । उन्हें यह सत्य ज्ञात नहीं लेकिन मेरी कविताएँ / कहानियाँ जब उन तक पहुँचेंगी तो वह स्वयं को इनमें संग्रहित पाएँगे । मेरी कविताओं , कहानियों में पाठकों को कहीं स्वयं का प्रतिबिम्ब नज़र आएगा और कहीं उन व्यक्तियों का जिन्हें उन्होंने चाहा पर उनके सामने इस सत्य को स्वीकार नहीं कर पाए । पाठकों का यही एहसास मेरी रचनाओं को सार्थकता प्रदान करेगा ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vanita Handa
    29 अगस्त 2018
    बहुत खूब बहुत ही प्रेरणाप्रद
  • author
    29 अगस्त 2018
    वाह। बढिया
  • author
    Anju Pahuja
    23 अक्टूबर 2018
    really jahan chaa hai wahi rahha hai
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    Vanita Handa
    29 अगस्त 2018
    बहुत खूब बहुत ही प्रेरणाप्रद
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    29 अगस्त 2018
    वाह। बढिया
  • author
    Anju Pahuja
    23 अक्टूबर 2018
    really jahan chaa hai wahi rahha hai