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दुक्खम शरणम गच्छामि

3.8
1469

अँधेरा पूरा था और सन्नाटा संगदिल। उस विशाल कैफे के ठंडे हॉल में मेरे कदम इस तरह पड़े जैसे आश्चर्य लोक में एलिस। हॉल सिरे से खाली था और मैं निपट अकेला। उढ़के हुए शानदार दरवाजे को खोल कर भीतर आने पर ...

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लेखक के बारे में

जन्म : 25 दिसंबर 1956, मेरठ (उत्तर प्रदेश) भाषा : हिंदी विधाएँ : कहानी, उपन्यास उपन्यास : समय एक शब्द भर नहीं है, हलाहल, गुजर क्यों नहीं जाता, देश निकाला   कहानी संग्रह : लोग हाशिये पर, आदमीखोर, मुहिम, विचित्र देश की  प्रेमकथा, जो मारे जाएँगे, उस रात की गंध, खुल जा सिमसिम, नींद के बाहर पुरस्कार: इंदु शर्मा कथा सम्मान, राष्ट्रीय संस्कृति सम्मान, मौलाना अबुल कलाम आजाद पत्रकारिता पुरस्कार पता: डी-2/102, देवतारा अपार्टमेंट्स, मीरा सागर कांप्लेक्स, रामदेव पार्क रोड, मुंबई - 7 दूरभाष:: 91-9821872693, 91-22-65282046

समीक्षा
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  • author
    Deepak
    22 फ़रवरी 2021
    Excellent.......... Read a nice article after a long time
  • author
    Navneet Mittal
    08 नवम्बर 2019
    बेहतरीन रचना
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    Deepak
    22 फ़रवरी 2021
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    Navneet Mittal
    08 नवम्बर 2019
    बेहतरीन रचना