काले बुर्के में लिपटी दोनों लड़कियां फिर मेरे ऑफिस में आयीं। मुश्किल से २० -२२ साल की उम्र ,दुबला पतला शरीर ,गोरा सुन्दर चेहरा, आँखें नीची, कुछ डरी डरी सी। बड़ी तहजीब से आदाब कर सिमटकर बैठ गयीं। " ...
साहित्य और सामजिक उन्नयन में रूचि रखने वाले डॉक्टर सुबोध कुमार सिंह एक प्लास्टिक सर्जन हैं और अपनी समाजसेवा के लिए विख्यात हैं। उनके कार्यों पर अनेकों डाक्यूमेंट्री बनी हैं जिनमें ऑस्कर विजेता स्माइल पिंकी ,और AIB अवार्ड विजेता बर्न गर्ल रागिनी प्रमुख हैं
सारांश
साहित्य और सामजिक उन्नयन में रूचि रखने वाले डॉक्टर सुबोध कुमार सिंह एक प्लास्टिक सर्जन हैं और अपनी समाजसेवा के लिए विख्यात हैं। उनके कार्यों पर अनेकों डाक्यूमेंट्री बनी हैं जिनमें ऑस्कर विजेता स्माइल पिंकी ,और AIB अवार्ड विजेता बर्न गर्ल रागिनी प्रमुख हैं
कहानी में गरीबी का मर्मस्पर्शी चित्रण किया है। ऐसा बहुत कम होता है कि जब डॉक्टर मरीज की गरीबी को देखकर फीस न ले कर निशुल्क ऑपरेशन कर दे। यह है डॉक्टर की महानता है। कहानी पाठक को बहुत कुछ सोचने के लिए विवश करती है ।अच्छे लेखन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
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कहानी में गरीबी का मर्मस्पर्शी चित्रण किया है। ऐसा बहुत कम होता है कि जब डॉक्टर मरीज की गरीबी को देखकर फीस न ले कर निशुल्क ऑपरेशन कर दे। यह है डॉक्टर की महानता है। कहानी पाठक को बहुत कुछ सोचने के लिए विवश करती है ।अच्छे लेखन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
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