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अम्मा होते बाबूजी

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16044

छोटा सा ही सही साम्राज्य चलता यहाँ अम्मा का उन्हें पसंद नहीं कोई और उनके क्षेत्र में प्रवेष करे। इसलिए बाबूजी जब कभी रसोई में जाने का प्रयास करते अम्मा झट से कह देतीं-‘‘आप तो बस रहने ही दीजिए, मेरी ...

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लेखक के बारे में

जन्म- 26 नवम्बर षिक्षा- एम.ए. (अर्थषास्त्र, हिन्दी,) एमएड, पीएचडी संप्रति- प्राचार्य बी. एड. महाविद्यालय भोपाल रूचि- लेखन संपर्क- चलित दूरभाष-09926481878 ई -मेल रू ंहतंूंससंजं8/हउंपसण्बवउ प्रकाषन - कई षोधपत्रों के साथ राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय- समाचार पत्र व पत्रिकाओं में प्रकाषन आकाषवाणी व दूरदर्षन व साहित्यक मंचों पर कविता, कहानी पाठ। ऽ कविता संग्रह- मंै बरगद ( बरगद पर 131 कविताओं का संग्रह ) कई सम्मानों से सम्मानित ए आँचल’ (माँ पर 111 कविताओं का संग्रह ) ऽ बाल संग्रह- 1.मुस्कान, 2.असर आपका’ बाल मनोविज्ञान,3. मेरा क्या कसूर, 4.पुस्तक मित्र महान, 5.मुझे क्यों मारा ? अन्य ऽ रोल प्ले पर 20 लघु पुस्तिकाएं ऽ कहानी संग्रह -1. सिंदूर का सुख, 2.सांझी बेटियाँ ऽ समीक्षा - 1.पयोधि हो जाने का अर्थ ,2. उत्तर सोमारू ऽ षिक्षा- 1. भाषा षिक्षण एवं षिक्षण विधियाॅं, 2. आओ जाने भाषा 3. खेल-खेल में भाषा 4.पाठ्यक्रम के पार भाषा, 5. सूक्ष्म षिक्षण और अधीनस्थ प्रषिक्षण 6. हिन्दी षिक्षण पाठयोजना सम्मान- हरप्रसाद षोध अध्ययन केन्द्र आगरा की ओर से श्रीमती सुषीला देवी भार्गव सम्मान कथाबिम्ब मुम्बई की ओर से कमलेष्वर स्मृति कथा पुरस्कार हिन्दी रचनात्मक कार्य हेतु माॅरीषस हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा ‘हिन्दी रत्न’ कहानी ‘31का महीना’ हेतु कमलेष्वर स्मृति कथा सम्मान मुंबई निर्दलयीय संस्थान भोपाल द्वारा श्रेष्ठ संभाषण अलंकरण सम्मान संत बालि षोध संस्थान उज्जैन द्वारा ‘मथुरा देवी सम्मान बाल कल्याण एवं षोध षिक्षा संस्था भोपाल द्वारा गौतमी देवी सम्मान अखिलभारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन भोपाल द्वारा कौषल्या चतुर्वेदी स्मृति श्रेष्ठ साधना सम्मान। षिक्षा व समाज के क्ष़्ोत्र में सराहनीय कार्य हेतु विपिन जोषी ‘विवेकानंद सम्मान।’ षिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान हेतु ‘षिक्षा रष्मि’ राष्ट्रीय समता मंच दिल्ली द्वारा षैक्षिक व सामाजिक कार्यो हेतु ‘स्वर्ण पदक’ बाल कल्याण एवं षोध षिक्षा संस्था द्वारा श्रेष्ठ षिक्षक सम्मान कहानी सूनी हथेली पर ‘कौषल्या गांधी पुरस्कार’ म. प्र. अग्रवाल महासभा भोपाल द्वारा प्रतिभा सम्मान कलामंदिर परिषद भोपाल द्वारा ‘माहेष्वरी सम्मान’ हिन्दी साहित्य सभा आगरा द्वारा ‘मनस्वी सम्मान’ समानान्तर साहित्य संस्था आगरा द्वारा ‘सारस्वत सम्मान’ अन्य कई प्रषस्तिपत्र एवं सम्मान .......000......

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajendra Bisht
    07 जून 2019
    अम्मा की दिनचर्या कार्य शैली और जुनून से अपनी अम्मा की यादें ताजा हो गईं कुछ इस तरह कि 66 की उम्र में अम्मा को खो देने के 13 वर्ष बाद आँसुओं ने आँखों की सीमाएँ तोड़ दीं। यह अपने आप में आपकी लेखन शैली की क्षमता का प्रमाण है।हृदयस्पर्शी कहानी के लिए धन्यवाद ।
  • author
    Subhi Mishra "सुभी"
    16 जुलाई 2019
    बहुत ही मार्मिक कहानी अंत में पढ़ते हुए आँखो मे आंसू आ गये.. जीवनसाथी इतना अच्छा हो तो.... अकेले जीना कितना मुश्किल है
  • author
    Chhaya Srivastava
    03 अगस्त 2018
    बहुत सुंदर रचना ।पति पत्नी का रिश्ता ही ऐसा होता है,एक के जाने के बाद दूसरा अकेला हो जाता है।
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    Rajendra Bisht
    07 जून 2019
    अम्मा की दिनचर्या कार्य शैली और जुनून से अपनी अम्मा की यादें ताजा हो गईं कुछ इस तरह कि 66 की उम्र में अम्मा को खो देने के 13 वर्ष बाद आँसुओं ने आँखों की सीमाएँ तोड़ दीं। यह अपने आप में आपकी लेखन शैली की क्षमता का प्रमाण है।हृदयस्पर्शी कहानी के लिए धन्यवाद ।
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    Subhi Mishra "सुभी"
    16 जुलाई 2019
    बहुत ही मार्मिक कहानी अंत में पढ़ते हुए आँखो मे आंसू आ गये.. जीवनसाथी इतना अच्छा हो तो.... अकेले जीना कितना मुश्किल है
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    Chhaya Srivastava
    03 अगस्त 2018
    बहुत सुंदर रचना ।पति पत्नी का रिश्ता ही ऐसा होता है,एक के जाने के बाद दूसरा अकेला हो जाता है।