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आलोचना और समाज

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जीवन में अंधकार और प्रकाश या आलोक और छाया का प्रणय एवं कलह ही नहीं प्रणय-कलह और अंतर्केलि के लिए भी जगह बनी रहती है।इसी जगह का अपने पक्ष में इस्तेमाल करते हुए कुछ लोग चाँदनी की मादकता के हवाले से ...

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लेखक के बारे में

मँजी हुई शर्म का जनतंत्र के (कविता संकलन) साहित्य समाज और जनतंत्र (लेख संकलन) बाजारवाद और जनतंत्र (लेख संकलन) आजादी और राष्ट्रीयता का मतलब (लेख संकलन) छुटे हुए क्षण (जीवनानुभव) कई पुस्तकों के सहलेखक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। संप्रति नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता में कार्यरत। संपर्क : [email protected] मोबाइल : 919007725174

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