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आठवीं सीढ़ी

4.6
35737

::: बीतता हुआ आज, बीता हुआ कल और आने वाले कल की गूँज :::: मैं, पहली मंजिल पर स्थित अपने घर की बालकनी में बैठी नीचे देख रही थी । आज मेरे सर में हल्का हल्का सा दर्द था । मैंने अपने लिये अदरक वाली चाय ...

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लेखक के बारे में

Name : Vijay Kumar Sappatti Education : MBA, PG-HRD, PG-MKTG, DEGREE-Economics & English Literature, DIPLOMA in Mining Engineering Job : Marketing Consultant Publications : Two books in Hindi – one for poetry and one for stories Poetry – “ Ujale Chaand Kee Beceni “ Story- “ Ek Thi Maaya “ Many poems and stories published in various national and international magazines [ both in print & electronic medium ] Major Blogs Poems – http://frozenmomentsoflifetime.blogspot.in ,Writings - http://thewritingonwall.blogspot.in

समीक्षा
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  • author
    30 अगस्त 2016
    विजय जी को सर्वप्रथम शुभकामनायें । इतनी झकझोर कर देने वाली कहानी अब तक नहीं पढी थी यद्दपि सैकड़ों कहानियां इन्टरनेट पर पढ चूका हूँ। अब तक किसी भी कहानी भी टिप्प्पणी भी नहीं किया था ये रेकॉर्ड भी आज टूट गया। ना ही किसी कहानी ने झरझर इतने आंसू बहाये आँखों से , आपकी लेखनी कागज पर नहीं ह्रदय पर चलती है। बहुत बहुत धन्यवाद एवं शुभकामनाएं।। आपसे कोई संपर्क हो पाना सौभाग्य होगा।।
  • author
    Asha Gopal
    07 जून 2020
    बहुत मार्मिक प्रेम कहानी। शुरू में तो बहुत दुखद, पर अन्त बहुत बढिया। हां शुभान्कर को बीमार नहीं करते तब अधिक सुन्दर होता। पर नायिका का मा बनना, अशोक का सुधर जाना, सब बहुत सुन्दर। सुखद अन्त से कहानी बहुत सुन्दर लगी।
  • author
    ravinder agarwal
    23 फ़रवरी 2017
    कुछ भी नहीं लिखा जा रहा आपके लिए जी ये कहानी बार बार पढ़ने का मन करता रहेगा बहुत शानदार बहुत अदभुत कितने रंग है इस कहानी में कितना प्यार है इस कहानी में
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    30 अगस्त 2016
    विजय जी को सर्वप्रथम शुभकामनायें । इतनी झकझोर कर देने वाली कहानी अब तक नहीं पढी थी यद्दपि सैकड़ों कहानियां इन्टरनेट पर पढ चूका हूँ। अब तक किसी भी कहानी भी टिप्प्पणी भी नहीं किया था ये रेकॉर्ड भी आज टूट गया। ना ही किसी कहानी ने झरझर इतने आंसू बहाये आँखों से , आपकी लेखनी कागज पर नहीं ह्रदय पर चलती है। बहुत बहुत धन्यवाद एवं शुभकामनाएं।। आपसे कोई संपर्क हो पाना सौभाग्य होगा।।
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    Asha Gopal
    07 जून 2020
    बहुत मार्मिक प्रेम कहानी। शुरू में तो बहुत दुखद, पर अन्त बहुत बढिया। हां शुभान्कर को बीमार नहीं करते तब अधिक सुन्दर होता। पर नायिका का मा बनना, अशोक का सुधर जाना, सब बहुत सुन्दर। सुखद अन्त से कहानी बहुत सुन्दर लगी।
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    ravinder agarwal
    23 फ़रवरी 2017
    कुछ भी नहीं लिखा जा रहा आपके लिए जी ये कहानी बार बार पढ़ने का मन करता रहेगा बहुत शानदार बहुत अदभुत कितने रंग है इस कहानी में कितना प्यार है इस कहानी में