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मै हौले से उसकी और बढा । हमारी आँखे चार हुई । लगा कि बस अभी उठ कर गले लगा लेगी । वो इस सफर पर शायद अकेली थी । किस्मत से उसके पास वाली सीट खाली थी । मै धीरे से किसी बच्चे की तरह उसके पास जा कर ...

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लेखक के बारे में
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Prashant Vaishnav

मुझे लगता हैं कि मेरी ज़िन्दगी कुछ लोगो से नहीं बल्कि सबसे अलग हैं लेकिन शायद सभी को यही लगता हैं तो मुझे नहीं लगता की आपको ऐसा लगे..! :) Instagram:- @bekhayalii E-mail:- [email protected]

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sayam Bihari
    03 मई 2019
    समझ नहीं पाया कि यह कोई खुबसूरत अभिव्यक्तियों से ओतप्रोत कहनी है या कोई यात्रा वृतांत ।इस कहानी का उद्देश्य स्पष्ट नहीं होता है ।विद्वान लेखक अंतत इस कहनी के माध्यम क्या कहना चाहते हैं अथवा समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं कुछ भी स्पष्ट नहीं होता है । कहानी का नायक अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने मे असमर्थ सा दिखता है । और नायिका अपनी भावनाओं को बड़ी सहजता से बिना सामने आये स्पष्ट कर जाती है । वैसे कहानी का प्रवाह अच्छा है और विद्वान लेखक ने बड़ी कुशलता से और सहजता से प्रस्तुत किया है । प्रयास सराहनीय है उन्हे बहुत-बहुत बधाई ।
  • author
    12 अक्टूबर 2018
    बहुत ही कमाल का लिखते हैं आप, भावनाओं को बहुत ही करीब से और सलीके से प्रकट करना वाकई बहुत कम लेखक कर पाते हैं। अक्सर भावना पकड़ आती है पर सलीका गलत हो जाता है । आपने सब परफेक्टली उतारा है
  • author
    Ashok Yaduvanshi
    25 फ़रवरी 2019
    bahut acha likha hai Bhai aapne 😊
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    Sayam Bihari
    03 मई 2019
    समझ नहीं पाया कि यह कोई खुबसूरत अभिव्यक्तियों से ओतप्रोत कहनी है या कोई यात्रा वृतांत ।इस कहानी का उद्देश्य स्पष्ट नहीं होता है ।विद्वान लेखक अंतत इस कहनी के माध्यम क्या कहना चाहते हैं अथवा समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं कुछ भी स्पष्ट नहीं होता है । कहानी का नायक अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने मे असमर्थ सा दिखता है । और नायिका अपनी भावनाओं को बड़ी सहजता से बिना सामने आये स्पष्ट कर जाती है । वैसे कहानी का प्रवाह अच्छा है और विद्वान लेखक ने बड़ी कुशलता से और सहजता से प्रस्तुत किया है । प्रयास सराहनीय है उन्हे बहुत-बहुत बधाई ।
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    12 अक्टूबर 2018
    बहुत ही कमाल का लिखते हैं आप, भावनाओं को बहुत ही करीब से और सलीके से प्रकट करना वाकई बहुत कम लेखक कर पाते हैं। अक्सर भावना पकड़ आती है पर सलीका गलत हो जाता है । आपने सब परफेक्टली उतारा है
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    Ashok Yaduvanshi
    25 फ़रवरी 2019
    bahut acha likha hai Bhai aapne 😊