pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

अश्लील कविता

4.5
2442

. अश्लील कविता जब जन्म लेती है कोई कविता तब वह नंगी ही होती है, किसी सोच में उधड़ते नग्न विचारो सी, फिर भी ना जाने क्यों हमें कविताओं को आवरणो में ढकने की आदत हो गई है, सुना है नग्नता ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

हरदीप सबरवाल पंजाबी यूनीवर्सिटी से सनातकोत्तर है, उनकी रचनाऐं विभिन्न ऑनलाइन और प्रिंट पत्रिकाओं में जैसे The Larcenist , Zaira Journal, The Writers Drawer, Quail Bells, NY Literary Magazine, Literary Yard, Alive, जनकृति इंटरनैशनल मैगजीन दिल्ली पत्रिका, और कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई है. २०१४ में उनकी कविता HIV Positive को Yoalfaaz best poetry competition में प्रथम स्थान मिला। 2015 में उनकी कविता The Third Desire इस प्रतियोगिता में द्वितीय आई। दिसम्बर 2015 में उनकी कविता The Refugee's Roots को The Writers Drawer International poetry contest में दूसरा स्थान मिला. हिन्दी में उनकी कविताओं पायट्री सोसाईटी आफ इडिंया के काव्य संग्रह अमलताश के शतदल (2015 की सर्वश्रेष्ठ कविताऐं) में प्रकाशित हुई , जून 2016 मे उनकी कहानी "The Swing" ने The Writers Drawer short story contest 2016 में तीसरा स्थान जीता . पायट्री सोसाईटी अाफ इंडिया के काव्य संग्रह 'ढाई आखर प्रेम' में भी उनकी कविताऐं प्रकाशित हुई. अमेरिका की The Circus of Indie Artist ( Anthology of poems and Short stories) में भी इनकी रचनाऐं प्रकाशित हुई.

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    17 मई 2019
    कविवर बधाई। मात्र 44 पाठक संख्या के बावजूद अपनी श्रेष्ठता सिध्द करने के लिए बहुत साधुवाद। कविता बहुत ही अच्छी है। निर्णायक मंडल को भी साधुवाद।
  • author
    Yakoob khan "अंशु"
    18 मई 2019
    द्वंद और आक्रोश की बेमिसाल झलक लिए एक बेहतरीन कविता ।
  • author
    Hitendra Kumar "परम_यशदा"
    21 मई 2019
    एक जगह लोग अलंकारों मे सजा कर...कविता को दुल्हन बना रहे है... ओर आपने सरल तरीक़े से... फर्स पर गीराये पानी कि तरह कमाल कर दिया.... अद्भुत
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    17 मई 2019
    कविवर बधाई। मात्र 44 पाठक संख्या के बावजूद अपनी श्रेष्ठता सिध्द करने के लिए बहुत साधुवाद। कविता बहुत ही अच्छी है। निर्णायक मंडल को भी साधुवाद।
  • author
    Yakoob khan "अंशु"
    18 मई 2019
    द्वंद और आक्रोश की बेमिसाल झलक लिए एक बेहतरीन कविता ।
  • author
    Hitendra Kumar "परम_यशदा"
    21 मई 2019
    एक जगह लोग अलंकारों मे सजा कर...कविता को दुल्हन बना रहे है... ओर आपने सरल तरीक़े से... फर्स पर गीराये पानी कि तरह कमाल कर दिया.... अद्भुत